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Good News: 'चीफ टॉयलेट क्लीनर' की अनोखी मुहिम

गुड न्यूज में आज आप ऐसे शख्स के बारे में जानेंगे जो खुद को चीफ टॉयलेट क्लीनर कहते हैं, इनका नाम स्वप्निल चतुर्वेदी। स्वप्निल ने समग्र नाम का एक एनजीओ बनाया है।

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नई दिल्ली: गुड न्यूज में आज आप ऐसे शख्स के बारे में जानेंगे जो खुद को चीफ टॉयलेट क्लीनर कहते हैं, इनका नाम स्वप्निल चतुर्वेदी। स्वप्निल ने समग्र नाम का एक एनजीओ बनाया है। अकसर ऐसा होता है कि पब्लिक टॉयलेट इतना गंदा होता है कि कोई उसे यूज नहीं कर पाता। स्वप्निल की टीम स्लम एरियाज़ में टॉयलेट क्लीन करती है, उसे यूज करने लायक बनाती है और नए टॉयलेट भी बनवाती है।  स्वप्निल की टीम में 125 सफाई सैनिक हैं, जो पुणे शहर मे घूम घूम कर टॉयलेट साफ करते है। फिलहाल डेढ़ से दो लाख लोगों को इसका फायदा मिल रहा है।

स्वप्निल के समग्र ने सिर्फ टॉयलेट ही नही बनाये तो अपने घर जैसी ही उसकी सफाई भी शुरू की।पुणे शहर में ढाई सौ से ज़्यादा टॉयलेट समग्र ने बनाए हैं। आज इस टॉयलेट का लाभ हर दिन डेढ से 2 लाख लोग ले रहे हैं। 125 सफाई सैनिक दिनभर इन टॉयलेट को साफ करते है। बिल्कुल अपनी घर की तरह..सफाई करनेवालोंको समग्र ने सफाई सैनिक का नाम दिया है। इनकी भी हेल्थ का ध्यान रखा जाता है..इन्हें शूज,मास्क,गलौज दिए जाते है।

भुवनेश्वर,रायपुर,बेंगलोर दिल्ली में उन्होंने अपने काम को शुरुवात करनेकी कोशिश की। लेकिन वहां के स्थानीय लोग और नगर निगम का पूरी तरह से सहयोग न मिलनेके कारण वो परिवार के साथ पुणे पहुंचे। पुणे के झुग्गी झोपड़ियों के इलाके में जाकर रिसर्च शुरू किया। वहां की जादातर महिला और लडकियों की समस्या समझ ली। हैरान कर देनेवाली जानकारी सामने आयी। यह महिलाएं सुबह 4 या 5 बजे की पहले ही अंधेरे में खुले में ही शौच के लिए जाती थी। शौच के लिए जाने से डरती थी। शौचालय की सुविधा न होने के कारण उन्हें मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था। डर लगता था। 

स्वप्निल चतुर्वेदी 6 साल पहले यूएस में बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर थे। तन्खा 60 -70 लाख रूपये। वो ज्यादातर अमेरिका में रहते थे। जब भी भारत आते थे तब सड़क या खुले में शौच के लिए बैठनेवाले लोगोंको देखकर वो बैचैन होते थे। उन्होंने नौकरी छोड़कर भारत में आने का फैसला लिया। 2012 में वो भारत आये। 'समग्र सैनिटेशन'नाम की संस्था स्थापन की। 

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