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Hindi News भारत राष्ट्रीय सरकार ने कहा कि संसद सत्र में हर सवाल के जवाब को तैयार, विपक्ष ने घेरा

सरकार ने कहा कि संसद सत्र में हर सवाल के जवाब को तैयार, विपक्ष ने घेरा

राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया। 

govt says ready to respond to every query in parliament session । सरकार ने कहा कि संसद सत्र में हर स- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO सरकार ने कहा कि संसद सत्र में हर सवाल के जवाब को तैयार, विपक्ष ने घेरा

नई दिल्ली. सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह आगामी मॉनसून सत्र में संसद में पूछे गये हर प्रश्न का उत्तर देगी और रोजाना 160 ‘अतारांकित’ प्रश्नों के उत्तर दिये जाएंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रश्नकाल नहीं चलाने को लेकर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए सरकार के सूत्रों ने कहा कि पहली बार ऐसा नहीं हो रहा कि किसी सत्र में प्रश्नकाल नहीं चलेगा। 2004 और 2009 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। इसके अलावा विभिन्न कारणों से 1991 में और उससे पहले 1962, 1975 तथा 1976 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था।

राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया। सूत्रों ने कहा कि पहली बार 1975 और 1976 में आपातकाल के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ था। जब विपक्ष के नेताओं और मीडिया को छोड़कर बाकी सब सामान्य था। तब विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर पाबंदी लगा दी गयी थी।

सरकार ने दलील दी है कि उसके विपरीत इस समय देश में कोविड-19 महामारी के कारण वास्तविक स्वास्थ्य आपातकाल है और सत्र अत्यंत असामान्य परिस्थितियों में आयोजित किया जा रहा है जहां समय की भी कमी है। लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों को संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से भेजे गये पत्र में सूचित किया गया है कि सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ परामर्श किया है तथा एक राजनीतिक दल को छोड़कर इस बात की व्यापक आम-सहमति है कि प्रश्नकाल नहीं चलाया जाए।

सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दलों में इस सहमति के आधार पर सरकार ने पीठासीन अधिकारियों से अनुरोध किया है कि इस सत्र में प्रश्नकाल नहीं चलाया जाए और गैर सरकारी कामकाज नहीं किया जाए। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं से परामर्श नहीं किया है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल नहीं चलाना, ‘तारांकित’ श्रेणी के तहत संसद में उठाये गये जनहित के प्रश्नों पर सरकार को जवाबदेह नहीं ठहराना भारत के लोकतंत्र का अपमान है और देश के लोकतंत्र तथा संसदीय प्रक्रियाओं को नजरंदाज करने की ‘‘कुटिल सोच’’ है।

सुरजेवाला ने कहा कि ‘तारांकित’ प्रश्नों की श्रेणी में संबंधित मंत्री को पूरक प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इसके पीछे सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह ठहराने का विचार होता है कि जन कल्याण के कदम उठाये जाएं और संसद के माध्यम से भारत की 130 करोड़ जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही तय की जाए। सूत्रों ने कहा कि ‘अतारांकित’ प्रश्नों के अलावा सरकार के ध्यान में लाने के लिए विशेष उल्लेख के द्वारा 10 विषय भी उठाये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में महामारी, अर्थव्यवस्था की स्थिति तथा अन्य घटनाक्रमों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के साथ ही संक्षिप्त चर्चाएं भी होंगी। विपक्ष ने 14 सितंबर से शुरू हो जा रहे मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं संचालित करने के सरकार के फैसले की आलोचना की है। उसने आरोप लगाया है कि यह कोविड-19 के नाम पर लोकतंत्र की ‘हत्या’ का प्रयास है तथा अध्यादेशों की जगह लेने के लिए विधायी प्रस्तावों के लिहाज से सत्र आयोजित किया जा रहा है। 

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