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Hindi News भारत राष्ट्रीय ग्रेटर नोएडा हादसा: मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद

ग्रेटर नोएडा हादसा: मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद

एक दो नहीं कई परिवारों की ख्वाहिशों को खत्म कर दिया गया एक ही झटके में। इस मलबे में दब कर रह गये सारे अरमान। इस मलबे में उम्मीद के सहारे इंतजार की गलियों में बैठे हैं परिजन। मरने के बाद मुआवजे के मरहम का रिवाज है, सरकार ने दो लाख देने में देर नहीं की है।

ग्रेटर नोएडा हादस: 35 घंटे बाद भी मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद- India TV Hindi ग्रेटर नोएडा हादस: 35 घंटे बाद भी मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद

नई दिल्ली: दिल्ली के पास नोएडा के शाहबेरी गांव में मंगलवार रात दो इमारतों के ढहने से हुए हादसे में मरने वालों का आंकड़ा 9 पहुंच गया है। मलबे के ढेर में 35 घंटे बाद भी जिंदगी की तलाश हो रही है। पुलिस ने अब तक इस घटना के सिलसिले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन बिल्डर अब तक फरार है। इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है लेकिन इस बात की गारंटी किसी ने नहीं दी कि अगली बार ऐसा हादसा नहीं होगा। (ग्रेटर नोएडा इमारत हादसा : 8 लोगों के शव मिले, राहत-बचाव कार्य जारी, मजिस्ट्रेट जांच के आदेश)

इस हादसे में एक साल की फूल सी बच्ची की मौत हो गई लेकिन कसूरवार प्रशासन नहीं। हादसे में 25 साल के युवक की मौत हो गई लेकिन कसूरवार नोएडा अथॉरिटी नहीं। 60 साल की महिला की मौत हो गई लेकिन कसूरवार सरकार नहीं। सिर्फ इसलिए क्योंकि जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं। सब अपना पल्ला आज से नहीं सालों से झाड़कर बैठे हैं। उसका नतीजा देखिए। 14 जुलाई को ही गृह प्रवेश किया था शिव त्रिवेदी ने लेकिन बिल्डरों और अफसरों की लापरवाही ने सारे सपनों को पाताल में पहुंचा दिया।

ग्रेटर नोएडा हादस: 35 घंटे बाद भी मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद

कोई झारखंड के जंगल का इलाका नहीं है शाहबेरी, ना ही कर्नाटक का कोई पहाड़ है। गाजियाबाद और नोएडा के बीच शहर में बसा है शाहबेरी। 5 किलोमीटर पर जिलाधिकारी का दफ्तर है। 10 किलोमीटर पर ग्रेटरनोएडा ऑथोरिटी का दफ्तर है। आसपास लाखों लोगों की आबादी है लेकिन इसके बावजूद धड़ल्ले से चल रहा था अवैध निर्माण। एक के बाद एक खड़ी होती जा रही थी इमारतें और अफसर आंख और कान बंद करके बैठे थे।

ग्रेटर नोएडा हादस: 35 घंटे बाद भी मलबों के ढेर में जिंदगी की तलाश, अब तक 9 शव बरामद

एक दो नहीं कई परिवारों की ख्वाहिशों को खत्म कर दिया गया एक ही झटके में। इस मलबे में दब कर रह गये सारे अरमान। इस मलबे में उम्मीद के सहारे इंतजार की गलियों में बैठे हैं परिजन। मरने के बाद मुआवजे के मरहम का रिवाज है, सरकार ने दो लाख देने में देर नहीं की है।

खबर है कि बिल्डर और प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के खिलाफ एनएसए लगाया जाएगा लेकिन सोचिए पाई-पाई जोड़कर लोग घर खरीदते हैं लेकिन सिस्टम और सरकारी लापरवाही के आगे हार जाते हैं। ये घटना सवाल करती है सरकार से, सिस्टम से, बिल्डरों से, अफसरों से कि घर में सुरक्षित सोने, हंसने और मुस्कुराने की गारंटी कब मिलेगी।

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