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Hindi News भारत राष्ट्रीय करोड़ों की संपत्ति छोड़ मोक्षेश सेठ ने लिया संन्यास, बना जैन भिक्षु

करोड़ों की संपत्ति छोड़ मोक्षेश सेठ ने लिया संन्यास, बना जैन भिक्षु

मोक्षेश के चाचा ने गिरीश सेठ ने बताया कि मोक्षेश ने करीब आठ साल पहले संन्यास लेने की इच्छा जतायी थी। परिवार के समझाने पर वो अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए तैयार हुए। गिरीश सेठ ने बताया कि उनके परिवार के 200 सालों के इतिहास में जैन साधु बनने वाले पहले पुरुष होंगे।

Gujarat: 24-year-old CA Mokshesh Sheth renounces crores, becomes a Jain monk- India TV Hindi करोड़ों की संपत्ति छोड़ मोक्षेश सेठ ने लिया संन्यास, बना जैन भिक्षु  

नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले चौबीस साल के मोक्षेस सेठ ने जैन मुनि की दीक्षा लेकर सांसारिक मोह माया को पीछे छोड़ सफेद चोला ओढ़ लिया है। मोक्षेस के परिवार का महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एल्यूमिनियम का बड़ा कारोबार है। सालाना सौ करोड़ रुपये के टर्न ओवर के कारोबार को छोड़कर मोक्षेस ने जैन मुनि की दीक्षा लेने का ये चौंकाने वाला फैसला लिया। मोक्षेस के परिवार ने भी उसके इस साहसिक फैसले में पूरा साथ दिया। इस फैसले के पीछे मोक्षेस का तर्क है कि वो अपने जीवन की बैलेंस शीट सुधारना चाहता है और उसमें पुण्य जोड़ना चाहता है। वह समाज को भी जीओ और जीने दो का रास्ता दिखाना चाहता है।

मोक्षेश का परिवार मूलतः गुजरात के डेसा का रहने वाला है। उनका परिवार करीब 60 साल पहले मुंबई में आ बसा। उनके पिता संदीप सेठ और चाचा गिरीश सेठ मुंबई में संयुक्त परिवार में रहते हैं। मोक्षेश के तीन बड़े भाई हैं। मोक्षेश ने मानव मंदिर स्कल से 93.38 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं और 85 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की। मोक्षेश ने एचआर कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया। साथ ही वो चार्टेड अकाउंटेंट की परीक्षा देते रहे और उसमें सफल हुए। मोक्षेश अपने परिवार के मेटल से जुड़े कारोबार में काम करने लगे।

मोक्षेश के चाचा ने गिरीश सेठ ने बताया कि मोक्षेश ने करीब आठ साल पहले संन्यास लेने की इच्छा जतायी थी। परिवार के समझाने पर वो अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए तैयार हुए। गिरीश सेठ ने बताया कि उनके परिवार के 200 सालों के इतिहास में जैन साधु बनने वाले पहले पुरुष होंगे। गिरीश सेठ के अनुसार मोक्षेश से पहले उनके परिवार की पाँच महिलाएँ जैन साध्वी बन चुकी हैं।

मोक्षेश ने बताया कि उन्होंने इस साल जनवरी में साधु बनने के उनकी इच्छा को परिवार की सहमति मिली। मोक्षेश के 85 वर्षीय दादा भी उनके साथ साधु बनना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी जैन धर्मगुरुओं से अनुमति नहीं मिली। वरिष्ठ जैन धर्मगुरुओं ने उनके दादा को समाज में रहकर समाज की सेवा करने का सुझाव दिया।

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