नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मुंबई की एक अदालत में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमन हेडली की ओर से किए गए इस दावे से हमारा रूख सही साबित हुआ है कि गुजरात में 2004 में हुई एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां आतंकवादी थी। बहरहाल, अधिकारियों का मानना है कि इशरत को लेकर हेडली की ओर से किए गए खुलासे सबूतों के तौर पर बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रखते क्योंकि उसका बयान सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि यदि हेडली सीआरपीसी की धारा 164 के तहत भी गवाही दे रहा हो रहा है तो उसके बयान का कोई वजन नहीं है। इसके अलावा, हेडली के बयान का समर्थन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी की ओर से भी करना होगा, जो होने वाला नहीं है। अधिकारियों ने अपने नाम का खुलासा न करने की शर्त पर कहा कि हेडली के बयान से सीबीआई को मदद नहीं मिलेगी। सीबीआई ने कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच की थी। सीबीआई ने सिर्फ 2004 की घटना की जांच की थी और इस पहलू की जांच नहीं की थी कि 19 साल की इशरत लश्कर की सदस्य थी या नहीं।
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