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Hindi News भारत राष्ट्रीय गिलानी ने खुद को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से किया अलग, सभी सदस्यों को लिखा पत्र

गिलानी ने खुद को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से किया अलग, सभी सदस्यों को लिखा पत्र

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का बिखराव शुरू हो गया है।

<p>Hurriyat Chairman Syed Ali Shah Geelani</p>- India TV Hindi Image Source : PTI Hurriyat Chairman Syed Ali Shah Geelani

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का बिखराव शुरू हो गया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से अलग होने की घोषणा की है। गिलानी ने इस बारे में हुर्रियत के सदस्यों को पत्र लिखकर अपना फैसला बताया है। मीडिया के लिए जारी चार पंक्ति के पत्र और एक ऑडियो संदेश में, 90 वर्षीय नेता के प्रवक्ता ने कहा, “ गिलानी ने हु्र्रियत कॉन्फ्रेंस फोरम से पूरी तरह से अलग होने की घोषणा की है।” गिलानी ने संगठन के सभी घटकों को विस्तृत पत्र लिखते हए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस छोड़ने के अपने फैसले के पीछे के कारण बताए हैं। उन्हें इसका (संगठन का) आजीवन प्रमुख नामित किया गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों की वर्तमान की गतिविधियों की विभिन्न आरोपों को लेकर गठबंधन जांच कर रहा है। 

Image Source : Gilani LetterGilani Letter

गिलानी ने अपने दो पन्ने के पत्र में कहा, “इन प्रतिनिधियों की गतिविधियां अब वहां (पीओके) सरकार में शामिल होने के लिए विधानसभाओं और मंत्रालयों तक पहुंच बनाने को लेकर सीमित है। कुछ सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया जबकि अन्य ने अपनी खुद की बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया। इन गतिविधियों को आपने (घटकों ने) यहां बैठक कर उनके निर्णयों को समर्थन देकर बढ़ावा दिया है।” उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने और पूर्व के राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद हुर्रियत सदस्यों की निष्क्रियता की ओर इशारा किया। 

गिलानी ने आरोप लगाया, “मैंने विभिन्न माध्यमों से आप तक संदेश पहुंचाया ताकि आगे के कदमों पर फैसला हो सके लेकिन मेरे सभी प्रयास (संपर्क करने के) व्यर्थ हो गए। अब जब वित्तीय एवं अन्य गड़बड़ियों को लेकर जिम्मेदारी की तलवार आपके सिर पर लटक रही है तो आपको परामर्श समिति की बैठक बुलाने का ख्याल आ रहा है।” उन्होंने कहा कि 2003 में घटक दलों ने उन्हें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का शासन संभालने के लिए मजबूर किया था और बाद में उन्हें आजीवन इसका चेयरमैन बना दिया। गिलानी ने कहा, “अनुशासनहीनता और अन्य खामियों को आपने नजरअंदाज किया और इतने वर्षों में भी आपने जिम्मेदारी तय करने की मजबूत व्यवस्था नहीं बनाई लेकिन अब आपने सारी हदें पार कर दीं हैं और नेतृत्व के खिलाफ बगावत पर उतर आएं हैं।” 

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