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Hindi News भारत राष्ट्रीय कश्मीर में आतंकियों की घरवापसी, घाटी में एक और 'माजिद' घर लौटा

कश्मीर में आतंकियों की घरवापसी, घाटी में एक और 'माजिद' घर लौटा

इनमें से एक है माजिद बेहतरीन फुटबॉलर जिसने तीन दिन पहले बंदूक छोड़कर अपनी मां के आंसू पोछने का फैसला किया और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया तो दूसरा साउथ कश्मीर का सोलह साल का वो लड़का है जिसने कल ही माजिद की तरह दहशतगर्दी से अपना पीछा छुड़ाया और घर ल

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नई दिल्ली: कश्मीर के भटके युवा अब आतंकवाद का रास्ता छोडने लगे हैं। फुटबॉलर माजिद के बाद एक और कश्मीरी युवक ने घरवापसी की है। इस लड़के ने भी आतंकियों का साथ देने की बजाए अपने परिवारों वालों के पास लौटने का फैसला किया। ऐसे युवकों को जम्मू कश्मीर की पुलिस सेना और सीआरपीएफ हर मुमकिन मदद दे रही है। घाटी के इन दोनों युवाओं ने उन नौजवानों को सही राह दिखाई है जो अपने परिवारों को छोड़कर आतंक की राह पर चल निकले थे।

इनमें से एक है माजिद बेहतरीन फुटबॉलर जिसने तीन दिन पहले बंदूक छोड़कर अपनी मां के आंसू पोछने का फैसला किया और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया तो दूसरा साउथ कश्मीर का सोलह साल का वो लड़का है जिसने कल ही माजिद की तरह दहशतगर्दी से अपना पीछा छुड़ाया और घर लौट आया।

इस अनूठी घरवापसी में जितना हाथ इन नौजवानों के परिवारों का है, उनके मां बाप की दर्दभरी अपील का है उतना ही हाथ पुलिसवालों का भी है जो खुद यही चाहते हैं कि कश्मीरी युवा दहशतगर्दी छोड़ें और मेन स्ट्रीम में लौट आए। जम्मू कश्मीर के डीजीपी एस पी वैद्य का कहना है कि आपरेशन आल आउट के बाद करीब 60 लड़के को आतंकी रास्ते से हटाया है। उम्मीद है कि आगे भी कामयबा होंगे।

भटके युवाओं के लिए हेल्प नंबर

सुरक्षा बलों ने तो इसके लिए बाकायदा एक हेल्प लाइन नंबर तक जारी कर दिया है और ये अपील भी की है कि दहशतगर्दी का रास्ता छोड़ने की इच्छा रखने वाले कश्मीरी युवाओं को घर लौटने में पूरी मदद दी जाएगी। सीआरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन का कहना है कि जो लोग घर से चले गए हैं वो वापस आएं। कई को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे वापस आएं तो उनके लिए हेल्प लाइन नंबर है मददगार के नाम से, 14411 है। उनकी उम्मीद से ज्यादा मदद मिलेगी जो वापस आएंगे उनके परेशान हीं किया जाएगा।

ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस की ये कोशिशें और मां बाप की अपील बेकार नहीं जाएगी। माजिद की तरह वो बच्चे भी घर लौटेंगे जिन्होंने आतंकवादियों के बहकावे में आकर परिवार का साथ छोड़ा और बंदूकें उठा लीं।

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