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भारत में अब दिया जाएगा कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज? विशेषज्ञों ने बताया

गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एक संस्थान द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आशंका जतायी है कि देश में कोविड​​​​-19 की तीसरी लहर सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी आ सकती है। पैनल ने वैक्सीनेशन की गति में तेजी लाने का सुझाव दिया है।

India does not have sufficient data to decide on COVID-19 booster dose: Experts- India TV Hindi Image Source : ANI कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप के बीच दुनियाभर में बूस्टर डोज को लेकर विचार हो रहा है।

नयी दिल्ली: कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप के बीच दुनियाभर में बूस्टर डोज को लेकर विचार हो रहा है। कुछ देशों में तो इसकी शुरुआत भी हो गई है। इजरायल और हंगरी ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की थी। भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच बूस्टर डोज को लेकर बहस चल रही है। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्ण वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज दिए जाने की जरूरत पर फैसला करने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त आंकड़े तैयार नहीं हुए हैं। उन्होंने यह टिप्पणी सितंबर से अक्टूबर के बीच देश में घातक बीमारी की तीसरी लहर आने की आशंका जताए जाने के बीच की है। 

गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एक संस्थान द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आशंका जतायी है कि देश में कोविड​​​​-19 की तीसरी लहर सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी आ सकती है। पैनल ने वैक्सीनेशन की गति में तेजी लाने का सुझाव दिया है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में वैक्सीन की कमी को देखते हुए कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज पर दो महीने तक रोक लगाने की मांग की है। 

वैक्सीनेशन संबंधी राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने कहा, "भारत स्थानीय स्तर पर एकत्र वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर बूस्टर डोज के बारे में फैसला करेगा। देश में अभी इस्तेमाल किए जा रहे वैक्सीन के लिए बूस्टर की आवश्यकता और समय निर्धारित करने के लिए अध्ययन पहले से ही चल रहे है।" 

उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज की आवश्यकता देश में कोविड संक्रमण के महामारी विज्ञान द्वारा तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी बूस्टर डोज व्यवस्था में यह भी सुनिश्चित करना होता है कि प्रतिकूल प्रभाव बूस्टिंग से संबद्ध नहीं हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अभी यह बताने के लिए कोई निश्चित सबूत नहीं है कि जिन लोगों को वैक्सीन लग चुका है उन्हें बूस्टर डोज देने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि मौजूदा आंकड़ों से पता चलता है कि जिन्हें वैक्सीन लगाया गया है उनमें यह गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में प्रभावी है तथा यह डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हमें उन लोगों का भी वैक्सीनेशन करना चाहिए जिन्हें एक भी डोज नहीं मिली है और वे उच्च जोखिम की श्रेणी में हैं। अभी, बूस्टर डोज की आवश्यकता नहीं है और जैसे-जैसे अधिक आंकड़े सामने आएंगे, यह स्पष्ट हो सकेगा कि कब और किस प्रकार की बूस्टर डोज की आवश्यकता है।"

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