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Hindi News भारत राष्ट्रीय मोदी-पुतिन मुलाकात से पहले भारत की रूस को चेतावनी, कहा - चीन को समझाएं वरना...

मोदी-पुतिन मुलाकात से पहले भारत की रूस को चेतावनी, कहा - चीन को समझाएं वरना...

वैश्विक मुद्दों पर चीन के साथ खड़े नजर आने वाले रूस से भारत यह उम्मीद करता रहा है कि वह भारत की NSG सदस्यता के लिए चीन पर दवाब डालेगा। अब तो रूस को भी यह महसूस होने लगा है कि भारत कुडनकुलम एमओयू को लेकर जानबूझकर देरी कर रहा है

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नई दिल्ली: अगले महीने होने वाली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से पहले भारत ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर वह न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) का पूर्ण सदस्य बनने में असमर्थ होता है तो रूस को परमाणु ऊर्जा विकास के अपने कार्यक्रम में विदेशी साझेदारों को सहयोग देना बंद करना होगा। (ये भी पढ़ें: भारत बना विश्व का चौथा शक्तिशाली देश, ये है इसकी सबसे बड़ी ताकत....)

भारत ने रूस को साफ-साफ कह दिया है कि अगर रूस ने एनएसजी के लिए भारत का समर्थन नहीं किया तो फिर कुडानकुलम प्रोग्राम के लिए कोई एमओयू साइन नहीं होगा। भारत को ये कड़ा रुख इस वजह से अपनाना पड़ा क्योंकि उसे ऐसा लग रहा है कि रूस भारत को एनएसजी सदस्य बनवाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध नहीं दिखाई पड़ रहा, वह इस मामले में काफी लापरवाह है।

वैश्विक मुद्दों पर चीन के साथ खड़े नजर आने वाले रूस से भारत यह उम्मीद करता रहा है कि वह भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए चीन पर दवाब डालेगा। अब तो रूस को भी यह महसूस होने लगा है कि भारत कुडनकुलम एमओयू को लेकर जानबूझकर देरी कर रहा है ताकि वह एनएसजी सदस्यता के लिए रूस पर दबाव डाल सके।

रूस को अब ये भी डर सताने लगा है कि भारत रूस पर खुद को एसएसजी सदस्य बनवाने के लिए दबाव डालने के लिए इस समझौते में जानबूझकर देरी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पिछले हफ्ते हुए मुलाकात में इस मुद्दे को उठाया था। लेकिन मोदी ने इस पर उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया।

इस एमओयू को पिछले वर्ष अक्‍टूबर माह में गोवा में हुई ब्रिक्‍स समिट में साइन किया जाना था और अभी तक इस पर कुछ भी नहीं हो सका है। रूस दूसरी तरफ इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि अब जबकि मोदी-पुतिन की मुलाकात में दो हफ्तों का ही समय बचा है भारत की ओर से एमओयू को लेकर कोई भरोसा नहीं दिया गया है। जिस एमओयू को लेकर रूस चिंतित है वह भारत और रूस की रणनीतिक साझीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।

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