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Hindi News भारत राष्ट्रीय अगले महीने रूस में आयोजित हो रहे युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होगा भारत

अगले महीने रूस में आयोजित हो रहे युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होगा भारत

आधिकारिक रूप से भारत द्वारा पुराने फैसले को बदलने की वजह नहीं बताई गई है, लेकिन मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि चीन का इस युद्धाभ्यास में शामिल होना भारत के शामिल नहीं होने की बड़ी वजह है। 

India will not participate in the war exercises to be held in Russia next month । अगले महीने रूस में- India TV Hindi Image Source : PTI अगले महीने रूस में आयोजित हो रहे युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होगा भारत

नई दिल्ली. भारत ने अगले महीने रूस में होने वाले बहुपक्षीय युद्धाभ्यास से हटने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों ने शनिवार को बताया कि भारत ने युद्धाभ्यास में शामिल होने की पुष्टि करने के एक हफ्ते बाद इससे हटने का फैसला किया। इस युद्धाभ्यास में चीनी और पाकिस्तानी सैनिकों के भी शामिल होने की उम्मीद है। भारत ने पिछले हफ्ते रूस को सूचित किया था कि वह 15 से 26 सितंबर के बीच दक्षिण रूस के अस्त्राखान इलाके में होने वाले रणनीतिक कमान-पोस्ट अभ्यास में शामिल होगा।

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हालांकि, आधिकारिक रूप से भारत द्वारा पुराने फैसले को बदलने की वजह नहीं बताई गई है, लेकिन मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि चीन का इस युद्धाभ्यास में शामिल होना भारत के शामिल नहीं होने की बड़ी वजह है। सूत्रों ने कहा, ‘‘युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया है।’’

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समझा जाता है कि यह फैसला सैन्य और विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुए विचार विमर्श के बाद लिया गया। उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते कई इलाकों में गत साढ़े तीन महीने से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। चीन और पाकिस्तान सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सभी सदस्यों सहित करीब 20 देशों के ‘कावकज’ नामक इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने की संभावना है।

भारत द्वारा सैन्य युद्धाभ्यास में शामिल होने के फैसले पर पुनर्विचार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एससीओ की अहम बैठक में शामिल होने के लिए अगले हफ्ते होने वाली रूस यात्रा से पहले किया गया है। एससीओ रक्षामंत्रियों की बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा हालात और भू-रणनीतिक गतिविधियों पर चर्चा होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि पहले इस युद्धाभ्यास में भारतीय थलसेना के 150 जवानों, भारतीय वायुसेना के 45 जवानों और नौसेना के कुछ अधिकारियों को भेजने की भारत की योजना थी। 

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