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Hindi News भारत राष्ट्रीय चीन को हवा में घेरने का चक्रव्यूह, हिंदुस्तान ने चलाया अपना ब्रह्मास्त्र

चीन को हवा में घेरने का चक्रव्यूह, हिंदुस्तान ने चलाया अपना ब्रह्मास्त्र

एयरफोर्स के इस कदम का चीन के पास कोई जवाब नहीं क्योंकि 2 घंटे से भी कम वक्त में पैरा-ट्रूपर्स चीन की बॉर्डर तक पहुंच जाएंगे। सिर्फ कमांडो ही नहीं इसके जरिए छोटी-छोटी गाड़ियां, हथियार और गोला-बारूद भी आसानी से चीन की सरहद तक पहुंच जाएंगे। हरक्यूलिस इस

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नई दिल्ली: बीते कई महीनों से डोकलाम विवाद पर भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है जिसके चलते चीन ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की। इसे ध्यान में रखते हुए भारत ने चीन से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी सीलसीले में भारत ने सरहद पर चीन को सबक सिखाने के लिए अपना ब्रह्मास्त्र चला दिया है। ड्रैगन को हवा में घेरने का चक्रव्यूह बनाया गया है जिसके तहत पहली बार चीन बॉर्डर पर गजराज की तैनाती की जाएगी जो पलभर में फौजियों की पूरी पलटन लेकर उस जगह तक पहुंच जाएगा जहां तक जाने में कई दिन गुजर जाते हैं। ये भी पढ़ें : दुनिया दहलाने वाली भविष्यवाणी, पाकिस्तान-चीन मिलकर करेंगे भारत पर हमला

हम बात कर रहे हैं हरक्यूलिस जंबो जेट की। ये पहला मौका है जब गाजियाबाद के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से में एक ऐसा एयरफोर्स स्टेशन तैयार किया गया है जहां हरक्यूलिस विमान तैनात रहेंगे। इंडियन एयरफोर्स ने हरक्यूलिस का ये बेस पानागढ़ में तैयार किया है। ये वो लोकेशन है जहां से चीन बॉर्डर पर नजर रखना बेहद आसान है क्योंकि ईस्टर्न एयर कमांड का ये वो स्टेशन है जहां से बेहद शॉर्ट नोटिस पर हरक्लूलिस विमान चीन की सरहद तक पहुंच सकते हैं। पानागढ़ का ये एयरफोर्स स्टेशन चीन बॉर्डर से महज 1 हजार किमी दूर है।

एयरफोर्स के इस कदम का चीन के पास कोई जवाब नहीं क्योंकि 2 घंटे से भी कम वक्त में पैरा-ट्रूपर्स चीन की बॉर्डर तक पहुंच जाएंगे। सिर्फ कमांडो ही नहीं इसके जरिए छोटी-छोटी गाड़ियां, हथियार और गोला-बारूद भी आसानी से चीन की सरहद तक पहुंच जाएंगे। हरक्यूलिस इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि ये छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है। 4 साल पहले भारत ने लद्दाख से सटी चीनी सरहद पर ये जंबो जेट उतारा था। अब नॉर्थ-ईस्ट से सटे बॉर्डर के पास इसका स्टेशन बनाया गया है।

दरअसल दो साल से पानागढ़ में लॉकहीड मार्टिन के इंजीनियर और टेक्नेशियन सुपर हरक्युलिस की तैनाती के लिए ज़मीन तैयार कर रहे थे जिसमें तकनीकि तौर पर एअरबेस को बनाने के साथ ही हैंगर और दूसरी सुविधाओं को विकसित करना शामिल था। सुपर हरक्युलिस के अलावा हवा में ईंधन भरनेवाले इलुशिन टू-78 की तैनाती भी पानागढ़ में की गई है। एक साथ 6 सुपर हरक्युलिस एअरक्राफ्ट की तैनाती यहां हो सकती है। सुपर हरक्यूलिस की वजह से ईस्टर्न एयर कमांड में तैनात सुखोई फाइटर जेट की ताकत में भी इजाफा हो जाएगा क्योंकि इस जंबो जेट के जरिए हवा में कहीं भी कभी भी सुखोई फाइटर जेट में फ्यूल भरा जा सकता है।

बता दें कि पानागढ़ का एअरफोर्स स्टेशन 1944 में यूएस आर्मी और एअरफोर्स ने बनाया था। दूसरे विश्वयुद्ध में ये बेस चीन-बर्मा-भारत ऑपरेशन्स में इस्तेमाल हुआ था। 1965 और 71 की जंग में भी पानागढ़ एअरबेस की खास भूमिका रही है।

C-130 J हरक्यूलिस में एक साथ 92 यात्री सफर कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर 64 पैराट्रूपर्स ऑपरेशन के लिए रवाना हो सकते हैं। हरक्यूलिस में 19 हजार किलो वजन लादा जा सकता है। इसकी स्पीड 671 किलोमीटर प्रति घंटा है यानी 2 घंटे में ये विमान आसानी से 1200 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है। ये विमान सिर्फ 953 मीटर लंबी हवाई पट्टी से उड़ान भर सकता है। पहाड़ी इलाकों में जहां रनवे बेहद छोटे होते हैं वहां भी इसे उतारना काफी आसान है। इसी खास वजह से चीन से सटे बॉर्डर पर इसकी तैनाती की गई है। एक बार उड़ान भरने के बाद गजराज 3300 किलोमीटर की रेंज में ऑपरेशन कर सकता है।

इस प्लेन को अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने बनाया है। पहली बार हरक्यूलिस ने साल 1999 में उड़ान भरी थी। भारत ने अमेरिका से 12 हरक्यूलिस खरीदे हैं। अमेरिका का ये ऐसा ट्रांसपोर्ट विमान है जिस पर अमेरिकी फोर्स सबसे ज्यादा यकीन करती है क्योंकि ये किसी भी हालात में उड़ान भरने में सक्षम है। अफगानिस्तान में अमेरिका ने अपने पैरा-ट्रूपर्स को ऑपरेशन में भेजने के लिए सबसे ज्यादा इसी विमान पर भरोसा किया।
 

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