नई दिल्ली: भारतीय सेना औपनिवेशिक काल के सहायक सिस्टम को समाप्त करके शांत क्षेत्रों में असैनिक कर्मचारियों की भर्तियां करने पर विचार कर रही है। दरअसल जवानों द्वारा सहायक सिस्टम का विरोध करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। शीर्ष सेना अधिकारी ने बताया कि सहायक या बडी सिस्टम (जिसमें अधिकारी के साथ कोई जवान जुड़ा होता है) की तैनाती मुख्य अड्डों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जारी रहेगी क्योंकि ये सभी सैनिक कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
अधिकारी ने बताया, ‘हम लोग शांत क्षेत्रों में सहायक सिस्टम को समाप्त करके असैनिक कर्मचारियों की भर्तियां करने पर विचार कर रहे हैं।’ हाल के महीनों में कई ऐसे वीडियोज सामने आए हैं, जिसमें सेना के जवानों ने सहायक सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाई है। वहीं, उनमें से कई जवानों का आरोप था कि अधिकारी उनके साथ नौकर की तरह व्यवहार करते हैं। अधिकारी ने बताया कि शांत क्षेत्रों में सहायकों के बदले असैनिक कर्मचारियों की तैनाती से सेना में कार्यबलों की कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सेना इस विकल्प के कई पक्षों को परख रही है। उन्होंने जोर दिया कि फील्ड यूनिट से सहायकों को नहीं हटाया जा सकता है।
सरकार ने किया था सहायक सिस्टम का बचाव
मार्च के महीने में सरकार ने सेना में सहायक सिस्टम का मजबूती से बचाव किया था। सरकार का कहना था कि युद्ध और शांति के दौरान अधिकारियों को ड्यूटी के लिए तैयार होने में सहायक जरूरी मदद करते हैं। वहीं, सरकार ने सहायकों से ऐसा कोई काम नहीं कराने को कहा था, जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती हो। सहायक ऐसे जवान होते हैं जिनकी ड्यूटी अधिकारियों की रक्षा करना, उनके हथियारों और उपकरणों की देखरेख करना और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अधिकारियों की मदद करना होता है।
रॉय मैथ्यू की खुदकुशी पर मचा था हड़कंप
मार्च के महीने में रॉय मैथ्यू नाम के एक जवान का शव महाराष्ट्र के देवलाली कैंट में लटकता हुआ मिला था। इस जवान का एक स्टिंग सामने आया था, जिसमें उसने अधिकारियों द्वारा कराए जा रहे घरेल कामों के बारे में शिकायत की थी। यह वीडियो वायरल हो गया था। इसके कुछ दिन बाद ही एक अन्य सिपाही ने सहायक सिस्टम की आलोचना करते हुए एक ऑनलाइन वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो में सिपाही ने आरोप लगाया था कि अधिकारी उसके साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते हैं।
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