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Hindi News भारत राष्ट्रीय जयललिता: एक अभिनेत्री से 'अम्मा' तक का सफर

जयललिता: एक अभिनेत्री से 'अम्मा' तक का सफर

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपने करियर की शुरुआत सिल्वर स्क्रीन से की थी। रुपहले पर्दे से जब उन्होंने राजनीति की कैनवास पर कदम रखा तो कभी पीछे नहीं देखा।

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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपने करियर की शुरुआत सिल्वर स्क्रीन से की थी। रुपहले पर्दे से जब उन्होंने राजनीति की कैनवास पर कदम रखा तो कभी पीछे नहीं देखा। जयललिता की जिंदगी में तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद वो शोहरत की बुलंदियों पर चढ़ती गई। एक वक्त वो सिल्वर स्क्रीन की सुपरस्टार थी लेकिन राजनीति में लंबी पारी खेलकर भी उन्होंने खुद को सरताज साबित किया। 

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1948 में जन्मी जयललिता को घरवाले अम्मो के नाम से पुकारते थे। वे जब 2 साल की थीं तो उनके एडवोकेट पिता चल बसे। माली हालत पतली होने पर उनकी मां बैंगलोर अपने मां-बाप के पास चली आयीं। बाद में वो फिल्मों में काम करने के लिए तमिल सिनेमा का रुख किया। और 'संध्या' के नाम से काम करने का फैसला किया। बेटी को फिल्मी माहौल से दूर रखने के लिए उन्होंने बेटी को अपने माता-पिता के पास बैंगलुरू में छोड़ दिया। जयललिता का बचपन बिना मां के साये के गुज़रा।

​13 साल की उम्र में फिल्मों में का शुरू किया

जब जयललिता 13  साल की हुईं तभी उनकी लाइफ ने करवट बदली। 'संध्या' की फिल्म के प्रोड्यूसर की नज़र जयललिता पर पड़ी और उन्होंने उन्हें हिरोइन बनने का ऑफर दिया। जयललिता ने ना चाहते हुए भी फिल्मों के लिए हां बोल दिया और वो हिरोइन बन गईं। 

15 साल की उम्र में अंग्रेजी फिल्म एपिसल' में काम किया

मात्र 15 साल की उम्र में जयललिता ने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। बला की ख़ूबसूरत जयललिता के पास फिल्मों की लाइन लग गई। उन्होंने एक साथ तमिल...तेलगू...कन्नड़ फिल्मों में काम किया। हिंदी फिल्म इज्जत में उनके हीरो धर्मेंद्र थे।

एमजीआर के साथ 28 हिट फिल्में

1960 और 1970 के दशक में जयललिता की सबसे हिट जोड़ी बनी एमजीआर (एमजी रामचंद्रन) के साथ जिनके साथ उन्होंने 28 हिट फिल्में कीं। एमजीआर के साथ उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

​एमजीआर राजनीति में लेकर आए 

डीएमके के अलग होकर एआईएडीएमके बनाने वाले एमजीआर 10 साल तक यानी 1977 से 1987 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। 1982 में एमजीआर के कहने जयललिता राजनीति में आईं। एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा का सदस्य बनाया और फिर पार्टी का चुनाव प्रचार सचिव भी। यहीं से जयललिता की किस्मत बदल गई।

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