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झारखंड: नक्सलियों का पैसा बैंकों में जमा कराने से ग्रामीणों को मना किया

झारखंड पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में एक पोस्टर अभियान शुरू किया है, जिसके जरिए लोगों को नक्सलियों या उनके संगठनों के पुराने नोट बैंकों में जमा कराने या बदलवाने से मना किया जा रहा है।

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रांची: झारखंड पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में एक पोस्टर अभियान शुरू किया है, जिसके जरिए लोगों को नक्सलियों या उनके संगठनों के पुराने नोट बैंकों में जमा कराने या बदलवाने से मना किया जा रहा है। झारखंड पुलिस के प्रवक्ता पुलिस महानिरीक्षक (ऑपरेशन) एम. एस. भाटिया ने  बताया, "ग्रामीणों को (नक्सलियों का) अवैध पैसा जनधन खाते में जमा नहीं कराना चाहिए, अन्यथा इसके लिए वे जिम्मेदार होंगे।"

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उन्होंने कहा, "हम सुदूर ग्रामीण इलाकों में ऐसे पर्चे लगा रहे हैं, जहां कट्टर नक्सलियों ने अपना पैसा छिपा रखा है। हम ग्रामीणों को पहले ही सूचित करना चाहते हैं कि वे धोखे का शिकार न हों।" पुलिस लोहरडग्गा, लातेहार, चतरा, गढ़वा, खूटी और चाईबासा समेत 16 जिलों में पोस्टर अभियान चला रही है।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि नक्सलियों ने ग्रामीणों को डरा धमकाकर काफी बड़ी मात्रा में 500 और 1000 के नोट बदलवाए हैं। नक्सली अपने प्रभाव वाले इलाकों में ग्रामीणों, ठेकेदारों, पेट्रोल पंप मालिकों और अन्य लोगों पर पैसे बदलने या जमा कराने का दबाव डाल रहे हैं।

नक्सलियों ने 15 नवंबर को झारखंड के सेरिकेला-खरसावा जिले में पैसा बैंक में जमा कराने से इनकार करने पर एक नर्सिग होम के मालिक की हत्या कर दी थी। पुलिस ने 10 नवंबर को रांची के बाहरी इलाके में एक पेट्रोल पंप मालिक नंद किशोर को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह 25 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा कराने जा रहा था।

पूछताछ के दौरान किशोर ने स्वीकार किया कि वह पैसा प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के सरगना दिनेश गोप का है और किशोर को वह रकम अपने खाते में जमा कराने को कहा गया था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी के बाद से नक्सली अपने काले धन को सफेद करने के लिए स्थानीय नागरिकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नक्सल प्रभावित इलाकों में ठेकेदारों, पेट्रोल पंप मालिकों, अधिकारियों और नेताओं पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

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