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Hindi News भारत राष्ट्रीय अगली पीढ़ी को शराब के ठेकों के आगे कतार में नहीं खड़ा होना पड़े: हाई कोर्ट

अगली पीढ़ी को शराब के ठेकों के आगे कतार में नहीं खड़ा होना पड़े: हाई कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने वाली दोनों याचिकाएं असल में इसका समर्थन कर रही है।

Kerala High Court, Kerala High Court Liquor Policy, Kerala Liquor Policy- India TV Hindi Image Source : PTI REPRESENTATIONAL जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि यही कारण है कि वह बार-बार सरकार से कह रहे हैं कि शराब ठेकों पर ‘वाक-इन’ सुविधा हो।

Highlights

  • जस्टिस दीवान रामचंद्रन ने कहा, मैं नहीं चाहता कि हमारी अगली पीढ़ी कतार में खड़ी हो।
  • जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि वह बार-बार सरकार से कह रहे हैं कि शराब ठेकों पर ‘वाक-इन’ सुविधा हो।

कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह सिर्फ इस बात को लेकर चिंतित है कि अगली पीढ़ी को शराब के ठेकों के बाहर लंबी कतारों में खड़ा नहीं होना पड़े। साथ ही कहा कि उसने सरकार को राज्य में इस तरह के ठेकों की संख्या बढ़ाने के बारे में किसी भी तरह से न तो अनुमति दी है और न ही रोका है। जस्टिस दीवान रामचंद्रन ने कहा, ‘हमें अगली पीढ़ी को बचाना है। मैं नहीं चाहता कि वह इस तरह से कतार में खड़ी हो।’

‘हम नहीं चाहते कि लोग अफरातफरी पैदा करें’
जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि यही कारण है कि वह बार-बार सरकार से कह रहे हैं कि शराब ठेकों पर ‘वाक-इन’ सुविधा हो। कोर्ट ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि लोग शराब ठेकों के बाहर लंबी कतारों में खड़े हों और वहां अफरातफरी पैदा करें, लोगों के लिए और खासतौर पर महिलाओं व बच्चों के लिए इस तरह के स्थानों से गुजरना असंभव कर दे।’ कोर्ट ने 2 पुनर्विचार याचिकाओं का भी निस्तारण किया, जिनमें एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं केरल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष (स्पीकर) वी. एम. सुधीरन की थी।

‘दोनों याचिका स्वीकार किए जाने योग्य नहीं’
सुधीरन ने राज्य में शराब ठेकों की संख्या बढ़ाये जाने का विरोध किया था। ठेकों की संख्या बढ़ाने का सुझाव आबकारी आयुक्तालय एवं पेय पदार्थ निगम (बेवको) ने दिया था। कोर्ट ने कहा कि दोनों याचिका स्वीकार किए जाने योग्य नहीं हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि 2017 के उसके फैसले के बाद 4 साल तक और कोविड-19 महामारी के दौरान शराब ठेकों पर अत्यधिक भीड़ होने के समय कोई भी अदालत नहीं आया। कोर्ट ने कहा कि अब सिर्फ एक प्रस्ताव लाने का विचार किया गया है और लोग पुनर्विचार याचिकाओं के साथ आ रहे हैं।

जानें, कोर्ट ने याचिकाओं को लेकर आगे क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने वाली दोनों याचिकाएं असल में इसका समर्थन कर रही है। याचिकाओं में दलील दी गई है कि हाई कोर्ट के 2017 के फैसले में राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि शराब ठेकों के बाहर किसी इलाके के कारोबार और निवासियों को समस्या नहीं हो, लेकिन राज्य में शराब ठेकों की संख्या बढ़ाने के लिए इसे एक अलग तरीके से परिभाषित किया गया।

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