नई दिल्ली: इतिहास पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि बड़ी-बड़ी जंग तोपखानों के दम पर ही लड़ी गई है। बाबर जब भारत आया तो अपने साथ लेकर आया तोप जो काफी निर्णायक साबित हुआ। (एक ऐसा हीरा जो जिसके पास गया वो हो गया बर्बाद!)
सौ साल के अंदर युद्ध लड़ने का तरीका बदला, सेनाओं का साजो सामान बदला और इसकी वजह से जंग में अपनाई जाने वाली रणनीति ने भी वक्त के साथ पूरी करवट ली है।
जहां आसमान में लड़ाकू विमानों ने राज किया है वहीं जमीन पर टैंकों का एकछत्र राज रहा है। आज किसी भी थल सेना को पहली नजर में उसकी मशीनी ताकत यानी आर्म्ड डिवीजन से आंका जाता है।
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