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Hindi News भारत राष्ट्रीय 112 दिन बाद लालू की जेल वापसी, स्पेशल सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया

112 दिन बाद लालू की जेल वापसी, स्पेशल सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया

अंतरिम जमानत बढ़ाने की गुहार झारखंड हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद राजद अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव आज रांची की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया। जेल जाने से पहले लालू की सेहत की जांच की जाएगी।

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नई दिल्ली: अंतरिम जमानत बढ़ाने की गुहार झारखंड हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद राजद अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव आज रांची की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया। जेल जाने से पहले लालू की सेहत की जांच की जाएगी। जांच के बाद ही इस बात का फैसला होगा कि वह अस्पताल जाएंगे या नहीं। लालू यादव को कस्टडी में ले लिया गया है। जेल के बाद लालू यादव को रिम्स भेजा जाएगा। सरेंडर करने से पहले लालू यादव ने कहा कि उनकी सेहत की जिम्मेदारी सरकार की है और उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।सरेंडर से पहले लालू यादव ने कहा कि 'कोर्ट की इच्छा है वो जहां चाहे मुझे रखे'। 

चारा घोटाले में लोअर कोर्ट से सज़ा पा चुके लालू करीब साढ़े तीन महीने से जेल से बाहर हैं। चारा घोटाले में दोषी लालू यादव 11 मई से जेल से बाहर हैं। लालू को इलाज के लिए जमानत मिली थी और उन्होंने अंतरिम जमानत बढ़ाने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दी थी लेकिन अदालत ने 30 अगस्त तक सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दे दिया।

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की चारा घोटाले के देवघर कोषागार समेत सभी तीन मामलों में स्वास्थ्य कारणों से दी गयी अंतरिम जमानत की अवधि को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि आवश्यक होने पर अब लालू का रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज होगा। हाईकोर्ट ने लालू को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए थे।

कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर लालू यादव रांची पहुंचे और केंद्र सरकार पर जमकर आरोप लगाए। लालू ने कहा कि देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। उन्हें और उनके परिवार को जान-बूझकर फंसाया जा रहा है ताकि वो चुनावों में बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल ना बना सकें।

लालू यादव अपनी सज़ा के लिए सरकार पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि सज़ा उन्हें सबूतों के आधार पर मिली है। कोर्ट ने सज़ा सुनाई है। बेल की अवधि ना बढ़ाने का फैसला भी अदालत का ही है। ऐसे में सरकार को दोषी ठहराना जायज नहीं माना जा सकता।

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