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Hindi News भारत राष्ट्रीय VIDEO: बाघ का निवाला बुज़ुर्ग मां-बाप, मुआवज़े के लिए बनाया शिकार?

VIDEO: बाघ का निवाला बुज़ुर्ग मां-बाप, मुआवज़े के लिए बनाया शिकार?

क्या कोई मुआवजे की रकम के लिए अपने बुजुर्ग मां-बाप को आदमखोर बाघ का निवाला बना सकता है। आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यूपी के एक टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले गांव के लोगों पर ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि गांववाले मुआवजे की रकम के लिए बूढ़े-बुजुर

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पीलीभीत: क्या कोई मुआवजे की रकम के लिए अपने बुजुर्ग मां-बाप को आदमखोर बाघ का निवाला बना सकता है। आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यूपी के एक टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले गांव के लोगों पर ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि गांववाले मुआवजे की रकम के लिए बूढ़े-बुजुर्गों को जंगल में बाघ का शिकार बनने के लिए छोड़ आते हैं और फिर शव को गांव में लाकर वन विभाग से मुआवजा वसूलते हैं।

मुआवज़े के लिए ऐसा भी हो सकता है ?

यूपी के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आसपास बसे गांवों में पिछले 9 महीने में आदमखोर टाइगर पंद्रह लोगों को शिकार बना चुका है। लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास रहने वाले ग्रामीणों पर बेहद ही गंभीर आरोप लग रहे हैं। आरोप ये कि ये लोग मुआवजे की मोटी रकम पाने के लिए अपने बूढ़े माता-पिता को जंगल में बाघ का निवाला बनने के लिए छोड़ आते हैं। जैसे ही टाइगर इन बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है। ग्रामीण शव को जंगल से बाहर खेतों में ले आते हैं और वन विभाग से मुआवजे की रकम की मांग करते हैं।

आदमखोर का निवाला बुज़र्ग मां-बाप ?

ग्रामीणों पर संगीन आरोप लगाने वाले इस शख्स का नाम है कलीम अतहर खान जो वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के मेंबर है और इन्होंने इस बारे में एक रिपोर्ट भी संबंधित विभाग को भेजी है। इनके इस आरोप को एक वीडियो भी खूब हवा दे रहा है जो इन दिनों इलाके में वायरल हो रहा है। इस वीडियो में गांव के लोग बाघ के शिकार एक बुजुर्ग के शव को जंगल से बाहर लाते दिख रहे हैं। कुछ लोग शव को जल्द से जल्द खेत में पहुंचाने की बात कर रहे हैं।

क्या है मुआवजे के लिए मां-बाप के सौदे का सच?

आंकड़ों के मुताबिक नौ महीने में बाघ के हमले में जिन 15 लोगों की मौत हुई है उनमें सिर्फ 4 की उम्र 18 से 35 साल के बीच थी जबकि बाकी 11 मृतक 45 से 65 साल के थे। हर हमले के बाद परिजन 5 लाख के मुआवजे के लिए शव रखकर हंगामा करते हैं और कई मामलों में तो परिजनों को वन विभाग की तरफ से मुआवजे की रकम भी दी जा चुकी है। कई मामलों में मृतकों के परिजनों को कृषक बीमा की रकम भी मिली है।

क्या मुआवजे के लिए बुजुर्गों को टाइगर का निवाला बनाने का आरोप सही है?

कलीम अतर का कहना है कि जब उन्होंने इन मौतों का अध्ययन किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई...20 जून को मिहिलाल नाम के शख्स और एक जुलाई को ननकी देवी की मौत की जांच में पता चला कि दोनों ही मौत जंगल में करीब पांच किलोमीटर अंदर हुई थी। दोनों की मौत बाघ के हमले में हुई थी लेकिन गांववालों ने दोनों की मौत को जंगल के पास के खेत में बताया। इतना ही नहीं दोनों ही मामलों में शवों के कुछ टुकड़े और पीड़ित के फटे कपड़े जंगल के अंदर मिले थे। इससे पता चलता है कि टाइगर ने दोनों पर अटैक जंगल के अंदर किया था।

वहीं, स्थानीय लोग मुआवजे के लिए बुजुर्गों को जंगल में भेजकर बाघ का शिकार बनाने के आरोपों को खारिज कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि जंगल में सही तरीके से फेंसिंग नहीं होने की वजह से बाघ बस्तियों में घुस आता है और खेतों में काम करने वालों को शिकार बना लेता है। लेकिन वन विभाग का कहना है कि बाघ उन्हीं लोगों पर हमले करता है जो जंगल के अंदर दाखिल होते हैं हालांकि अब वन विभाग पूरे मामले की जांच की बात कर रहा है।

देखिए वीडियो-

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