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Hindi News भारत राष्ट्रीय महबूबा मुफ्ती ने फिर की पाकिस्तान की पैरवी, अब खेला मुस्लिम कार्ड

महबूबा मुफ्ती ने फिर की पाकिस्तान की पैरवी, अब खेला मुस्लिम कार्ड

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से पाकिस्तान के लिए नरम रुख रखते हुए उसकी पैरवी की है।

महबूबा मुफ्ती ने फिर की पाकिस्तान की पैरवी, अब खेला मुस्लिम कार्ड- India TV Hindi Image Source : ANI महबूबा मुफ्ती ने फिर की पाकिस्तान की पैरवी, अब खेला मुस्लिम कार्ड

नई दिल्ली/श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से पाकिस्तान के लिए नरम रुख रखते हुए उसकी पैरवी की है। सिर्फ इतना ही नहीं, महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं होने को लेकर यहां तक पूछ लिया कि क्या पाकिस्तान के मुस्लिम देश होने के कारण उसके साथ बातचीत नहीं की जा रही है।

PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, "मुझे खुशी है कि लोग पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की आवश्यकता व्यक्त करना चाह रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम चीन के साथ 9वें, 10वें दौर की वार्ता कर रहे हैं। क्या पाकिस्तान से इसलिए बात नहीं करते क्योंकि वह (पाकिस्तान) एक मुस्लिम देश है? क्योंकि अब सब कुछ सांप्रदायिक हो गया है?"

गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के दौरान केंद्र सरकार ने नजरबंद कर लिया था और फिर कई महीनों तक उन्हें नजरबंदी में रखा गया था। लेकिन, जब से महबूबा मुफ्ती को नजरबंदी से बरी किया है तब से वह केंद्र सरकार के प्रति काफी मुखर हो गई हैं। इसके साथ ही वह पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी भी कर रही हैं।

इससे पहले 14 नवंबर को महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि भारत एवं पाकिस्तान अपनी राजनीतिक मजबूरियों से ऊपर उठें और संवाद की पहल करें। उन्होंने कहा था कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर बढ़ रही हताहतों की संख्या को देखना दुखद है। मुफ्ती की टिप्पणी पाकिस्तान द्वारा 13 नवंबर को संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के बाद आई थी।

वहीं, भारतीय संविधान दिवस के मौके पर हाल ही में महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह दिवस मनाते देखकर हंसी आ रही है क्योंकि संविधान को पहले ही ‘‘भाजपा के विभाजनकारी एजेंडा’ से बदल दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि संशोधित नागरिकता कानून या ‘‘लव जिहाद कानून’’ संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का ‘‘अपमान’’ हैं।

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