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Hindi News भारत राष्ट्रीय हाजी अली दरगाह में महिलाओं को मिली प्रवेश की इजाज़त

हाजी अली दरगाह में महिलाओं को मिली प्रवेश की इजाज़त

मुंबई: मुंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतेहासिक फ़ैसले में यहां स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी। पहले यहां हाजी अली ट्रस्ट ने महिलाओं की एंट्री पर पाबंदी लगा

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मुंबई: मुंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतेहासिक फ़ैसले में यहां स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी। पहले यहां हाजी अली ट्रस्ट ने महिलाओं की एंट्री पर पाबंदी लगा रखी थी। ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फ़ैसला किया है।

आज प्रतीकात्मक तौर पर भारत मुस्लिम महिला संगठन हाजी अली के सामने आनंद उत्सव मनायेगा लेकिन आज से अगले 6 हफ़्ते तक कोई महिला मज़ार तक नहीं जा सकेगी क्योंकि मुम्बई हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ ट्रस्ट बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अपील फाइल करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्णय के बाद ही आगे का फैसला भी हो पायेगा।

ग़ौरतलब है कि पूजा स्थलों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर महिलाओं की लड़ाई चल रही है और इसी सिलसिले में दरगाह हाजी अली में प्रवेश के लिए महिलाओं ने भी मोर्चा खोल दिया था जिसका हाजी अली ट्रस्ट पुरज़ोर विरोध कर रहा था। मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाला एक समूह भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन बीएमएमए हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहा था और उसने दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी। संगठन का कहना था कि महिलाओं को दरगाह में जाने से रोकना असंवैधानिक है।

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जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की. नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था।

याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, 'कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है. अदालत ने इसे असंवैधानिक माना है। दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।'

कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता जाकिया सोमन ने खुशी जताते हुए कहा कि यह मुस्ल‍िम महिलाओं को न्याय की ओर एक कदम है, वहीं भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है।

दूसरी ओर, एमआईएम के हाजी रफत ने कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए था, लेकिन अब जब उसने फैसला दिया है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

महिलाओं को इबादत का समान अधिकार दिलाने का अभियान चला रही तृप्ति देसाई ने “हाजी अली कूच” मुहिम शुरु की थी। उनके इस कदम के विरोध में एमआईएम और दूसरे धार्मिक संगठन एक साथ हो गए थे। दरगाह के ट्रस्टी का का कहना है कि किसी पुरुष मुस्लिम संत की कब्र पर महिलाओं का जाना इस्लाम में गुनाह है इसलिए दरगाह के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी सही है।

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