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Hindi News भारत राष्ट्रीय कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार सरकार, राजनीति कर रहा है विपक्ष: नरेंद्र सिंह तोमर

कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार सरकार, राजनीति कर रहा है विपक्ष: नरेंद्र सिंह तोमर

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तीन नए कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है।

कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार सरकार, राजनीति कर रहा है विपक्ष: नरेंद्र सिंह तोमर- India TV Hindi Image Source : PTI कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार सरकार, राजनीति कर रहा है विपक्ष: नरेंद्र सिंह तोमर

नई दिल्ली: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तीन नए कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने कृषि-अर्थव्यवस्था की कीमत पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने और किसानों के हित को नुकसान पहुंचाने के लिए विपक्षी दलों पर हमला किया। केंद्रीय मंत्री ने यहां एग्रीविजन के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने किसान संगठनों के के साथ 11 दौर की वार्ता की है और यहां तक कि इन कानूनों में संशोधन करने की भी पेशकश की है। 

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी देने के लिए इन तीन कानूनों को पारित किया है। साथ ही किसानों को इससे उनके द्वारा निर्धारित मूल्य मिल सकेंगे। मंत्री ने कहा कि कोई भी इस पर बात करने के लिए तैयार नहीं है कि ये विरोध प्रदर्शन किसानों के हित में कैसे हो सकते हैं। 

गौरतलब है कि मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, तीन महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो इन तीन कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार और 41 प्रदर्शकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता के बावजूद गतिरोध बरकरार है। 

सरकार ने 12-18 महीनों के लिए कानूनों के निलंबन और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त पैनल गठित करने सहित कई रियायतों की पेशकश की है, लेकिन यूनियनों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। तोमर ने कहा, ‘‘मैं यह मानता हूं कि लोकतंत्र में असहमति का अपना स्थान है, विरोध का भी स्थान है, मतभेद का भी अपना स्थान है। लेकिन क्या विरोध इस कीमत पर किया जाना चाहिए कि देश का नुकसान करें।’’

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