A
Hindi News भारत राष्ट्रीय Nobel Prize 2021: डेविड जूलियस और आर्डम पातापुतियन को मिला मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरस्कार, जानिए इनके बारे में

Nobel Prize 2021: डेविड जूलियस और आर्डम पातापुतियन को मिला मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरस्कार, जानिए इनके बारे में

फिजियोलाजी या चिकित्सा के क्षेत्र में मिलने वाले प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार 2021 की घोषणा कर दी गई है। इस बार अमेरिका के डेविड जूलियस (David Julius) और लेबनान के अर्देम पटापाउटियन (Ardem Patapoutian) को संयुक्त रूप से वर्ष 2021 के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है।

डेविड जूलियस, अर्देम पटापाउटियन को मिला मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरस्कार- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@NOBELPRIZE डेविड जूलियस, अर्देम पटापाउटियन को मिला मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize 2021: फिजियोलाजी या चिकित्सा के क्षेत्र में मिलने वाले प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार 2021 की घोषणा कर दी गई है। इस बार अमेरिका के डेविड जूलियस (David Julius) और लेबनान के आर्डम पातापुतियन (Ardem Patapoutian) को संयुक्‍त रूप से वर्ष 2021 के लिए नोबेल पुरस्‍कार दिया गया है। दोनों वैज्ञानिकों को तापमान और स्पर्श के लिए रिसेप्टर्स की खोज करने के लिए संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार 2021 (Nobel Prizes 2021) दिया गया है।

सोमवार को स्टॉकहोम में करोलिंस्का संस्थान में एक पैनल द्वारा पुरस्कारों की घोषणा की गई। इस वर्ष का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों डेविड जूलियस और आर्डम पातापुतियन को दिए जाने की घोषणा की गयी है। उन्हें तापमान और स्पर्श के लिए ‘रिसेप्टर’ की खोज के लिए यह सम्मान दिया गया है। नोबेल समिति के महासचिव थॉमस पर्लमैन ने सोमवार को इन विजेताओं के नामों की घोषणा की।

नोबेल समिति के पैट्रिक अर्नफोर्स ने कहा कि जूलियस ने तंत्रिका सेंसर की पहचान करने के लिए मिर्च के घटक कैप्साइसिन का इस्तेमाल किया। तंत्रिका सेंसर से त्वचा पर तापमान की प्रतिक्रिया होती है। उन्होंने कहा कि पातापुतियन ने कोशिकाओं में अलग दबाव-संवेदनशील सेंसर का पता लगाया। पर्लमैन ने कहा, ‘‘इससे वास्तव में प्रकृति के रहस्यों में से एक का खुलासा होता है, यह वास्तव में ऐसा कुछ है जो हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए यह एक बहुत ही अहम और गहन खोज है।" 

पिछले साल का पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया था जिन्होंने लीवर को खराब करने वाले हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज की। वह ऐसी कामयाबी थी, जिससे घातक बीमारी के इलाज का रास्ता प्रशस्त हुआ और ब्लड बैंकों के माध्यम से इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए परीक्षण किए गए। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (करीब 11.4 लाख अमेरिकी डॉलर) दिए जाते हैं। पुरस्कार की राशि स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा छोड़ी गई वसीयत से दी जाती है। नोबेल का 1895 में निधन हो गया था। नोबेल पुरस्कार चिकित्सा के अलावा भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाते हैं। 

बता दें कि, प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक दिया जाता है। साथ ही एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर दिए जाते हैं, जिसका भारतीय करेंसी में मूल्य लगभग 8.50 करोड़ रुपए होता है। पुरस्कार की राशि इसके कर्ताधर्ता रहे स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा छोड़ी गई वसीयत से आता है। नोबेल समिति की रिपोर्ट के अनुसार पुरस्कार विजेताओं ने इंद्रियों और पर्यावरण के बीच जटिल परस्पर क्रिया की समझ में महत्वपूर्ण लापता लिंक की पहचान की है। पहचाने गए आयन चैनल कई शारीरिक प्रक्रियाओं और रोग स्थितियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। 

जानिए डेविड जूलियस के बारे में

डेविड जूलियस एक अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। उनका जन्‍म वर्ष 1955 में अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में हुआ। वर्ष 1984 में उन्‍होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले से पीएचडी की डिग्री हासिल की है। इस समय वे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्‍को में प्रोफेसर हैं।

जानिए अर्देम पटापाउटियन के बारे में

आर्डम पातापुतियन भी अमेरिका में प्रोफेसर हैं। वे मूल रूप से लेबनान के रहने वाले हैं। वर्ष 1967 में लेबनान के बेरूत में उनका जन्म हुआ था। युद्ध के कारण वहां के हालात ठीक नहीं थे तो बाद में वे बेरूत से अमेरिका के लॉस एंजिलिस शिफ्ट हो गए। वर्ष 1996 में उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्‍टीटयूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी, पेसाडेना से पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वर्ष 2000 से वे स्क्रिप्‍स रिसर्च, ला जोला, कैलिफोर्निया में कार्यरत हैं।

Latest India News