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Hindi News भारत राष्ट्रीय उत्तर भारत वायरस के ब्रिटिश प्रकार से सबसे अधिक संक्रमित तो पश्चिम में ‘डबल म्यूटेंट’ का कहर

उत्तर भारत वायरस के ब्रिटिश प्रकार से सबसे अधिक संक्रमित तो पश्चिम में ‘डबल म्यूटेंट’ का कहर

उत्तर भारत में इस समय सबसे अधिक लोग वायरस के ब्रिटिश संस्करण से संक्रमित हैं जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में वायरस का ‘डबल म्यूटेंट’ प्रकार (वायरस की आनुवांशिकीक में दोहरा बदलाव) कहर बरपा रहा है।

उत्तर भारत वायरस के ब्रिटिश प्रकार से सबसे अधिक संक्रमित तो पश्चिम में ‘डबल म्यूटेंट’ का कहर- India TV Hindi Image Source : PTI FILE PHOTO उत्तर भारत वायरस के ब्रिटिश प्रकार से सबसे अधिक संक्रमित तो पश्चिम में ‘डबल म्यूटेंट’ का कहर

नयी दिल्ली। देश में गुरुवार को कोरोना वायरस के 4 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। देश में कोरोना वायरस के कई वेरिएंट अलग-अलग फैलने से चिंता और बढ़ गई है। उत्तर भारत में इस समय सबसे अधिक लोग वायरस के ब्रिटिश संस्करण से संक्रमित हैं जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में वायरस का ‘डबल म्यूटेंट’ प्रकार (वायरस की आनुवांशिकीक में दोहरा बदलाव) कहर बरपा रहा है। यह जानकारी राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक सुजीत सिंह ने दी है। 

सिंह ने हालांकि यह भी कहा कि सार्स कोव-2 वायरस के बी1.1.7 प्रकार (ब्रिटिश प्रकार) से देश में संक्रमित होने वाले लोगों के अनुपात में गत एक महीने में 50 प्रतिशत की कमी आई है। सिंह ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब (482 नमूनों), दिल्ली (516 नमूने)सहित उत्तर भारत में वायरस का ब्रिटिश संस्करण प्रमुखता से लोगों को संक्रमित कर रहा है जिसके बाद उसका असर तेलंगाना (192 नमूने), महाराष्ट्र (83) और कर्नाटक (82) में देखा गया। उन्होंने बताया कि 10 शीर्ष सरकारी प्रयोगशालायें एवं संस्थान गत साल दिसंबर से ही कोरोना वायरस का जीनोम अनुक्रमण कर रहे हैं। 

सिंह ने बताया कि अबतक 18,053 नमूनों का जीनोम अनुक्रमण किया गया है। उन्होंने बताया कि जीनोम अनुक्रमण से जुड़ी जानकारी राज्यों से फरवरी में दो बार और मार्च-अप्रैल में चार-चार बार साझा की गई। उन्होंने बताया कि डबल म्यूटेंट जिसे बी.1.617 के नाम से भी जाना जाता है प्रमुख रूप से महाराष्ट्र (721 नमूने), पश्चिम बंगाल (124), दिल्ली (107) और गुजरात (102) को प्रभावित कर रहा है। 

सिंह ने बताया कि वायरस के दक्षिण अफ्रीकी प्रकार का मुख्य रूप से प्रभाव तेलंगाना और दिल्ली में देखने को मिला। इसे जिसे बी.1.315 के नाम से जाना जाता है । उन्होंने बताया कि ब्राजीलियाई प्रकार केवल महाराष्ट्र में मिला और उसका अनुपात नगण्य है।

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