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ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से निर्मित 1,000 से अधिक फ्लैटों को सील करने का आदेश

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा की सुपरटेक जार रिहाइशी परियोजना में अवैध रूप से निर्मित 1,000 से अधिक फ्लैटों को सील करने का आज आदेश दिया। मुख्य न्यायधीश डी. बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने फ्लैट की संख्या के संबंध

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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा की सुपरटेक जार रिहाइशी परियोजना में अवैध रूप से निर्मित 1,000 से अधिक फ्लैटों को सील करने का आज आदेश दिया। मुख्य न्यायधीश डी. बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने फ्लैट की संख्या के संबंध में विवरण उपलब्ध कराने के निर्देशों का अनुपालन करने में बिल्डर के विफल रहने के बाद यह आदेश पारित किया।

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इस परियोजना के डेवलपर को ऐसे फ्लैटों की संख्या का ब्यौरा देने को कहा गया था जिसमें तीसरे पक्ष के अधिकारों का सृजन किया गया और जो फ्लैट पहले ही संबद्ध खरीदारों को हस्तांतरित कर दिए गए।

अदालत ने बिल्डर को सुनवाई की अगली तारीख 2 मई तक एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें उक्त सभी विवरण शामिल हों। इस बिल्डर को इनमें से किसी भी अवैध फ्लैट में थर्ड पार्टी अधिकारों का सृजन करने से भी रोक दिया गया है।

अदालत ने व्यवस्था दी, यदि थर्ड पार्टी अधिकारों का पहले ही सृजन किया गया है, तब इन फ्लैटों का कब्जा हस्तांतरित नहीं किया जाएगा। ऐसे मामले में जहां पहले ही किसी खरीदार ने फ्लैट का कब्जा ले लिया है तो वह फ्लैट इस याचिका के फैसले से प्रभावित होगा।

यह आदेश इस रिहाइशी परियोजना में फ्लैट के खरीदारों द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया। इन खरीदारों ने अपनी याचिका में बताया कि बिल्डर ने केवल 844 फ्लैटों का निर्माण करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से मंजूरी हासिल की थी। इसके बावजूद उसने 1904 फ्लैटों का निर्माण कर डाला जिसमें से 1000 से अधिक फ्लैटों का निर्माण अवैध रूप से किया गया।

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस रीयल एस्टेट डेवलपर ने अपनी अवैध मंजूरियों को वैध करने के लिए बाद के चरण में मंजूरी के लिए आवेदन किया था। अदालत ने प्राधिकरण को इस बिल्डर को समापन प्रमाण पत्र जारी नहीं करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि उस रीयल एस्टेट डेवलपर के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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