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...जब सोमनाथ दर्शन के लिए आए थे प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, PM मोदी ने याद किए उनके शब्द

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमनाथ के भक्तों को कई सौगात दी। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 83 करोड़ की प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने समुद्र दर्शन पैदल पथ, म्यूजियम और नए कलेवर में पुराने मंदिर का उद्घाटन किया और साथ ही श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी।

<p>जब सोमनाथ दर्शन के...- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO जब सोमनाथ दर्शन के लिए आए थे प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, PM मोदी ने याद किए उनके शब्द

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमनाथ के भक्तों को कई सौगात दी। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 83 करोड़ की प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने समुद्र दर्शन पैदल पथ, म्यूजियम और नए कलेवर में पुराने मंदिर का उद्घाटन किया और साथ ही श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बताया, ''जब राजेंद्र प्रसाद जी सोमनाथ आए थे और उन्होंने कहा था, सदियों पहले भारत सोने आर चांदी का भंडार हुआ करता था। दुनिया के सोने का बड़ा हिस्सा तब भारत के मंदिरों में ही होता था। मेरी नजर में सोमनाथ का पुनर्निर्माण उस दिन पूरा होगा जब इसकी नींव पर विशाल मंदिर के साथ ही समृद्ध और संपन्न भारत भव्य भवन भी तैयार हो चुका होगा। समृद्ध भारत का वो भवन जिसका प्रतीक सोमनाथ मंदिर होगा। प्रथम राष्ट्रपति का यह सपना हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूल भाव है सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास।''

आगे पीएम मोदी ने कहा, ''डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल और केएम मुंशी जैसे महानुभावों ने इस अभियान के लिए आजादी के बाद भी कठिनाइयों का सामना किया लेकिन आखिरकार 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तंभ के रूप में स्थापित हो गया। कठिनाइयों के समाधान की प्रतिब्दधता के साथ आज देश और आगे बढ़ रहा है, राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तंभ भी खड़ा हो रहा है। हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की और एक नया भविष्य बनाने की।

पीएम ने कहा, हमारे यहां जिन 12 ज्योतिर्लिंगों का स्थापना की गई है उनकी शुरुआत सोमनाथ मंदिर से ही हुई। ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं, इसी तरह हमारे चारों धामों की व्यवस्था शक्ति पीठों की संकल्पना, अलग-अलग कोनों से अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की यह पूररेखा वास्तव में एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना की ही अभिव्यक्ति है। दुनिया हमेशा हैरान होती है कि इतनी विविधताओं से भरा भारत एक कैसे है।

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