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Hindi News भारत राष्ट्रीय ISRO ने रचा इतिहास, एक साथ अंतरिक्ष में भेजे 104 सैटेलाइट

ISRO ने रचा इतिहास, एक साथ अंतरिक्ष में भेजे 104 सैटेलाइट

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लाँच करके नया इतिहास रचा दिया है। एक अंतरिक्ष अभियान में इससे पहले इतने उपग्रह एक साथ नहीं छोड़े गए हैं। इसरो का

ISRO- India TV Hindi Image Source : PTI ISRO

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लाँच करके नया इतिहास रचा दिया है। एक अंतरिक्ष अभियान में इससे पहले इतने उपग्रह एक साथ नहीं छोड़े गए हैं। इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 23 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का है। इसरो ने ये कारनामा 2015 में किया था।

इससे पहले अब तक किसी एक अभियान में सबसे ज़्यादा उपग्रह भेजने का विश्व रिकॉर्ड रूस के नाम था, जिसने 2014 में एक अभियान में 37 उपग्रहों को भेजने का काम किया था। इस लॉन्च में जो 101 छोटे सैटेलाइट्स होंगे उनका वजन 664 किलो ग्राम है। इन्हें कुछ वैसे ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा जैसे स्कूल बस बच्चों को क्रम से अलग-अलग ठिकानों पर छोड़ती जाती हैं।

मिशन में मुख्य उपग्रह 714 किलोग्राम वजन वाला काटोर्सैट-2 सीरीज उपग्रह है जो इसी सीरीज के पहले प्रक्षेपित अन्य उपग्रहों के समान है। इसके अलावा इसरो के दो तथा 101 विदेशी अति सूक्ष्म (नैनो) उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया जिनका कुल वजन 664 किलोग्राम है। विदेशी उपग्रहों में 96 अमेरिका के तथा इजरायल, कजाखस्तान, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के एक-एक उपग्रह शामिल हैं।

इनके अलावा रॉकेट में दो अन्य भारतीय सूक्ष्म उपग्रह भी हैं जिनका कुल वजन करीब 1378 किलोग्राम है। दोनों भारतीय नैनो-सेटेलाइट आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी को पीएसएलवी पर बड़े उपग्रहों का साथ देने के लिए विकसित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की नैनो-सेटेलाइटों का प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की व्यवस्था के तहत किया जा रहा है। कार्टोसेट-2 श्रृंखला के मिशन का समय पांच साल का है।

इसरो के वैज्ञानिकों ने एक्सएल वैरियंट का इस्तेमाल किया है जो सबसे शक्तिशाली रॉकेट है और इसका इस्तेमाल महत्वाकांक्षी चंद्रयान में और मंगल मिशन में किया जा चुका है।

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