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Hindi News भारत राष्ट्रीय पंजाब में बिजली संकट की आशंका, प्रदर्शन की वजह से बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी

पंजाब में बिजली संकट की आशंका, प्रदर्शन की वजह से बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी

पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारियों के मुताबिक संयंत्रों के पास केवल दो दिन का कोयला बचा है। वहीं अधिकारियों के अनुसार लेहरा मोहब्बत, रोपड़ और जीवीके तापीय विद्युत संयंत्र पहले ही बंद हो चुके हैं।

<p>पंजाब में बिजली...- India TV Hindi Image Source : PTI पंजाब में बिजली किल्लत की आशंका

नई दिल्ली। पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध में जारी ‘रेल रोको’प्रदर्शन के कारण राज्य के ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। अधिकारियों ने शनिवार को यह बात कही। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से आंदोलन में ढील देने की अपील की है ताकि मालगाड़ियों की आवाजाही हो सके। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अगर मालगाड़ियां चलनी शुरू नहीं होतीं तो डर है कि बिजली कटौती हो सकती है और राज्य में पूरी तरह विद्युत आपूर्ति बाधित भी हो सकती है। पंजाब में बेमियादी ‘रेल रोको’आंदोलन के कारण मालगाड़ियां नहीं चल पा रही हैं और इस कारण ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है। 

पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक वेणुप्रसाद ने जानकारी दी कि संयंत्रों के पास केवल दो दिन का कोयला बचा है। अधिकारियों के अनुसार लेहरा मोहब्बत, रोपड़ और जीवीके तापीय विद्युत संयंत्र पहले ही बंद हो चुके हैं। दो अन्य विद्युत संयंत्र तलवंडी साबू और नाभा अपनी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता से आधा उत्पादन ही कर पा रहे हैं। राज्य के कुछ हिस्से पहले ही कम विद्युत उत्पादन की वजह से बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं। राज्य में 7,000 मेगावाट से अधिक बिजली की मांग है और अन्य स्रोतों से 6,500 मेगावाट बिजली खरीदी जा रही है जिनमें निजी कंपनियां भी शामिल हैं। विभिन्न किसान संगठन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने एक अक्टूबर से बेमियादी ‘रेल रोको’आंदोलन शुरू कर प्रदर्शन तेज कर दिया। इस बीच अनेक किसान संगठनों ने शनिवार को बरनाला में बैठक की और ‘रेल रोको’आंदोलन में ढील देने की मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अपील पर चर्चा की। हालांकि बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। इससे पहले सात अक्टूबर की बैठक में किसान नेताओं ने मालगाड़ियों को चलने देने की सिंह की अपील पर ध्यान नहीं दिया था। 

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