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Hindi News भारत राष्ट्रीय आतंकवाद की तुलना में सड़क हादसों में 4 गुना अधिक मौतें

आतंकवाद की तुलना में सड़क हादसों में 4 गुना अधिक मौतें

नई दिल्ली: भारत में सड़क दुर्घटना से मौतों की संख्या आतंकवाद के कारण होने वाली मौतों से चार गुना अधिक है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रपट के मुताबिक, दो वर्षो में सड़क दुर्घटना

-नशे में वाहन चलाना भी सड़क हादसों का एक बड़ा कारण है। मध्य प्रदेश और बिहार में होने वाली मौतों में से एक चौथाई शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होती हैं। मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में पुलिस शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चलाती है।

- भारतीय सड़कों पर सबसे अधिक चलने वाले दोपहिया वाहनों के कारण भी काफी मौतें होती हैं। 2014 में सड़क हादसों में मरने वालों में 30 फीसदी लोग दोपहिया वाहन सवार थे, जबकि तीन फीसदी साइकिल सवार और नौ फीसदी राहगीर थे। विश्व स्वास्थ्य परिषद के मुताबिक, हेलमेट पहनकर घातक चोट से 72 फीसदी और मौत के खतरे से 39 फीसदी बचाव हो सकता है।

16,000 से अधिक साइकिल सवारों और राहगीरों की मौत को देखते हुए बड़े वाहनों से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए व्यावहारिक सीख देने के अलावा, इसके अनुकूल रास्ते और पैदल पारपथ बनाने जरूरी हैं।

-2014 में भारत के 50 बड़े शहरों में सड़क दुर्घटना में 16,611 मौतें हुईं, जिनमें दिल्ली, चेन्नई और मुंबई सबसे ऊपर रहे, लेकिन दिल्ली और चेन्नई में मौतों की संख्या में लगातार कमी आई है। राजधानी को सुरक्षित बनाने में दिल्ली मेट्रो के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता। हर रोज 20 लाख लोगों को अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने वाली मेट्रो ने सड़क पर वाहनों की संख्या में कमी लाकर दुर्घटनाओं से बचाव में मदद की है।

ये आकंड़े साबित करते हैं कि जन परिवहन प्रणाली को दुरुस्त करके भी भारतीय शहरों में सड़क सुरक्षा को काफी सुधारा जा सकता है।

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