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Hindi News भारत राष्ट्रीय RSS शाखाएं बच्चों के संरक्षण के लिए सुरक्षा ढाल के रूप में कर सकती हैं काम : कैलाश सत्यार्थी

RSS शाखाएं बच्चों के संरक्षण के लिए सुरक्षा ढाल के रूप में कर सकती हैं काम : कैलाश सत्यार्थी

कैलाश सत्यार्थी ने गुरूवार को कहा कि देश के लगभग हर गांव में मौजूद आरएसएस की शाखाएं बच्चों, खास तौर पर लड़कियों की हिफाजत के लिए सुरक्षा ढाल के रूप में काम कर सकती हैं। 

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नागपुर: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने गुरूवार को कहा कि देश के लगभग हर गांव में मौजूद आरएसएस की शाखाएं बच्चों, खास तौर पर लड़कियों की हिफाजत के लिए सुरक्षा ढाल के रूप में काम कर सकती हैं। सत्यार्थी ने कहा कि आजकल महिलाएं घर, कार्यस्थल, मुहल्ला और सार्वजनिक स्थानों पर डर और दहशत में हैं। यह भारत माता के प्रति गंभीर असम्मान है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के यहां स्थित मुख्यालय में सालाना विजयदशमी समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए गए सत्यार्थी ने कहा कि भारत में भले ही सैकड़ों समस्याएं हों, लेकिन यह एक अरब से अधिक समाधानों की जननी भी है। उन्होंने कहा, ‘‘एक महान और बाल हितैषी राष्ट्र बनाने के लिए ईमानदार युवा नेतृत्व और भागीदारी की जरूरत है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आरएसएस के युवाओं से हमारी मातृभूमि के वर्तमान और भविष्य को बचाने के लिए इस पथ पर नेतृत्व संभालने का अनुरोध करता हूं।’’ सत्यार्थी (64) ने कहा कि देश के लगभग सभी गांवों में मौजूद संघ की शाखाएं इस पीढ़ी के बच्चों के संरक्षण के लिए यदि सुरक्षा ढाल के रूप में काम करें, तो आने वाली सभी पीढ़ियां अपनी हिफाजत करने में खुद ही सक्षम होंगी। उन्होंने अफसोस जताया कि जिन लोगों को बालिका गृह चलाने की जिम्मेदारी दी गई है, वे उनका बलात्कार और हत्या कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि बाल कल्याण के संरक्षक ही बच्चों को बेच रहे हैं। लड़कियां छेड़छाड़ के डर से स्कूल जाना बंद कर रही हैं और हम अपनी आंखों के सामने यह सब होते चुपचाप देख रहे हैं। सत्यार्थी ने कहा कि करूणा के बिना किसी सम्मानीय समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। करूणारहित राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज आत्मा के बगैर शरीर जैसा है। 
उन्होंने किसी राष्ट्र के विकास के लिए प्रति व्यक्ति आय या जीडीपी जैसे संकेतकों की बजाय विभिन्न मानदंडों का इस्तेमाल करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि वह समाज के विकास को किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट से मापते हैं , जो हम दूर दराज स्थित किसी गांव के एक खेत में या पत्थर की खान में गुलामी कराई जा रही आदिवासी बेटी के चेहरे पर ला सकते हैं। सत्यार्थी ने दुनिया भर में अश्लील फिल्म उद्योग के फलने फूलने पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में, मैं कई देशों के शासनाध्यक्षों से मिला था और ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर काम शुरू किया जा चुका है।’’ 

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