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Hindi News भारत राष्ट्रीय बच्चियों को हवस का शिकार बनाने वाले सीरियल रेपिस्ट की अजीब दास्तान

बच्चियों को हवस का शिकार बनाने वाले सीरियल रेपिस्ट की अजीब दास्तान

सुनील अपनी सनक में ट्रेन से करीब 245 किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली आता था। यहां मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाकर वापस रामपुर लौट जाता था।

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नई दिल्ली: पुलिस के मुताबिक 38 साल का सुनील रस्तोगी एक पीडोप्रोफाइल क्रिमिनल है। सुनील अपनी सनक में ट्रेन से करीब 245 किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली आता था। यहां मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाकर वापस रामपुर लौट जाता था। वारदात को अंजाम देने से पहले ये एक ही तरह कपड़े पहनता था। साल 2004 के बाद से ये लगातार हर छुट्टी वाले दिन एक ही ट्रेन (संपर्क क्रांति) से दिल्ली आता था।

पुलिस के मुताबिक ये सीरियल रेपिस्ट खुद 3 बच्चियों समेत 5 बच्चों का पिता है और पिछले 13 सालों में करीब 600 बार दिल्ली आया। करीब 700 बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की वारदातों को अंजाम दिया है और करीब दर्जनभर से ज्यादा मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका है। फिलहाल पुलिस अभी इसके गुनाहों की फहरिस्त को खंगालने में जुटी है।

इस साइको रेपिस्ट की शिकार बनी बच्चियों के बताये गये हुलिए के आधार पर अभी इसकी तलाश चल ही रही थी। पुलिस टीम के हाथ लगी सीसीटीवी फुटेज में इस साइको रेपिस्ट का चेहरा पुलिस के सामने आया। इस सीसीटीवी फुटेज में भी ये सीरियल रेपिस्ट दो मासूम बच्चियों को अपनी बातों के जाल में फंसाकर साथ ले जाता दिख रहा है।

कौन है सीरियल रेपिस्ट?

साल 2004 तक सुनील रस्तोगी न्यू अशोक नगर में एक दरजी की दुकान पर काम करता था। उस वक़्त दिल्ली में मासूम बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करते पकडे जाने के बाद इसे इलाके के लोगो ने यहां से भगा दिया था। साल 2013 में सुनील रस्तोगी एक मासूम बच्ची से रेप की वारदात में 6 महीने तक रुद्रपुर जेल में बंद रहा। जमानत पर बाहर आने के बाद इसने दोबारा बच्चियों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया लेकिन वहां फिर से पकड़े जाने के डर से इस बार इसने रेप की वारदात को अंजाम देने की जगह बदल दी थी।

यहां इसकी नजर उन मासूम बच्चियों पर होती थी जो अकेले स्कूल से घर जाती थी। सीरियल रेपिस्ट सुनील बच्चियों को अपने जाल में फ़साने के लिए उनसे कभी मां-बाप के नाम पर कभी टॉफी-चॉकलेट के नाम पर बच्चियों को लालच देता। और सुनसान जगह मासूम बच्चियों के साथ वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाता। सुनील के टारगेट में आई कुछ बच्चियां खुशनसीब होती थीं जो बच जाती थीं लेकिन ज्यादातर बच्चियों को सुनील अपना शिकार बना लेता था।

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