नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय 43 नामों पर केंद्र की आपत्ति खारिज करते हुए अपने कॉलेजियम की सिफारिशों पर कायम रहा जिसके साथ उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यर्पालिका के बीच घमासान और तेज हो गया। उच्चतम न्यायालय ने यह कहकर गेंद वापस केंद्र के पाले में डाल दी कि वह उन नामों पर पुनर्विचार करे जिसे उसने मंजूरी नहीं दी है।
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और ए आर दवे की पीठ ने कहा, हमने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 43 नाम दोहराए हैं और पुनर्विचार के लिए भेज दिए हैं जिन्हें सरकार ने नामंजूर कर दिया था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मंगलवार की पिछली सुनवाई के दौरान दिये गये अपने बयान की याद दिलायी, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह बात कही। जजों के पांच सदस्यीय कालेजियम की अध्यक्षता करने वाले प्रधान न्यायाधीश ने उनसे कहा, हमने देखा है।
अटार्नी जनरल ने हालिया घटनाक्रमों के बारे में अनभिग्यता जाहिर करते हुए कहा, मैं इन चीजों से अवगत नहीं हूं। केंद्र ने मंगलवार को न्यायालय से कहा था कि उसने विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कालेजियम द्वारा भेजे गये 77 नामों में से 34 को मंजूरी दे दी है। सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश से जुड़ी कोई भी फाइल उसके पास लंबित नहीं है।
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