दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीजी जमात का मामला सामने आने के बाद से मरकज़ पर सवाल उठने लगे हैं। मरकज़ में शामिल लोग देश भर में फैल चुके हैं और अब देश में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच मरकज़ के मौलाना साद की कुछ भड़काउ तहरीरें भी सामने आई हैं, जिसका मुस्लिम विद्वान भी विरोध कर रहे हैं।
जाने माने मुस्लिम स्कॉलर तारेक फतेह भी इसके पीछे मुस्लिम लीडरशिप को ही दोषी मानते हैं। इंडिया टीवी के साथ एक विशेष बातचीत में तारेक फतेह ने कहा कि पता नहीं हिंदुस्तान में मुसलमानों की लीडर शिप को क्या हुआ है। उन्हें आगे आकर कोरोना से लड़ाई में सरकार की मदद करनी चाहिए थी। लेकिन वे अभी भी अपने जिद्दी रवैये पर अड़े हैं।
तारेक फतेह ने कहा कि कोई भी बीमारी किसी का रंग, मजहब नहीं देखती है। इससे जितने हिंदू प्रभावित होंगे उतने ही मुस्लिम। सभी को इस बीमारी से लड़ना है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बावजूद दुनिया में कई जगह धार्मिक संगठनों की गलती आम लोग भुगत रहे हैं। दक्षिण कोरिया या इटली में चर्च हो या भारत में मरकज़, सभी ने इंसानियत के खिलाफ काम किया है।
उन्होंने कहा कि चंद मुस्लिमों के चलते पूरे धर्म के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। जबकि मुहम्मद साहब ने ही लोगों से बीमारी के वक्त अपनी जगह से न निकलने की हिदायत दी है। 1500 सालों में हज यात्रा को इक्का दुक्का बार छोड़ दें तो इस बार रोकना पड़ा है। काबा खाली पड़ा है। लेकिन भारत में न जाने लीडरशिप किसके हाथ में है जो ऐसे आयोजनों की खिलाफत नहीं कर रहे हैं।
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