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Hindi News भारत राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में हुए बवाल पर ये बोली दिल्ली पुलिस

राजधानी नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में हुए बवाल पर ये बोली दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस के अनुसार तीस हजारी कोर्ट में हुए हिंसक विवाद में 20 पुलिसकर्मियों, एक एडिशनल डीसीपी, 2 एसएचओ और 8 वकीलों को चोटें आईं। कोर्ट परिसर में हुई आगजनी में 12 प्राइवेट बाईक, एक क्यूआरटी पुलिस की जिप्सी और 8 जेल वेन डैमेज हुईं। 

<p>Police personnel at Tis Hazari Court complex after...- India TV Hindi Image Source : PTI Police personnel at Tis Hazari Court complex after clashes between lawyers and police personnel, in New Delhi.

नई दिल्ली। शनिवार शाम राजधानी नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हुए बवाल पर दिल्ली पुलिस का आधिकारिक बयान आ गया है। दिल्ली पुलिस के अनुसार इस हिंसक विवाद में 20 पुलिसकर्मियों, एक एडिशनल डीसीपी, 2 एसएचओ और 8 वकीलों को चोटें आईं। कोर्ट परिसर में हुई आगजनी में 12 प्राइवेट बाईक, एक क्यूआरटी पुलिस की जिप्सी और 8 जेल वेन डैमेज हुईं। इस मामले की जांच मामले की जांच क्राइम ब्रांच की एसआईटी टीम को सौंपी गयी है, जिसके स्पेशल सीपी रैंक के अफसर जांच करेंगे।

Image Source : PTIPolice personnel at Tis Hazari Court complex after clashes between lawyers and police personnel, in New Delhi,

दिल्ली पुलिस के एडिश्नल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने बताया कि तीसरी बटालियन के जवानों और वकीलों के बीच हाथापाई पार्किंग को लेकर हुई थी। इसी बीच कुछ और वकील भी आ गए, वे लॉकअप के अंदर घुसना चाहते थे और वे बदला लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, “हमने हस्तक्षेप किया और वकीलों को अंदर नहीं आने दिया। हमने अंदर से ताला बंद कर दिया ताकि न केवल जवानों बल्कि अदालत में पेश किए जाने वाले कैदियों को भी किसी भी तरह के जोखिम से बचाया जा सके। जब वकील अंदर नहीं जा सके, तो उन्होंने आग जलाकर लॉकअप तोड़ना चाहा।”

Image Source : ptiPolice personnel at Tis Hazari Court complex after clashes between lawyers and police personnel, in New Delhi,

एडिश्नल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने धमाकों के जरिए गेट खोलने के लिए 2-3 बाईकें भी जला दीं, लेकिन हमने अंदर पीने वाले पानी की मदद से आग बुझधा दी लेकिन अंदर धुंए की वजह से दम घुटने लगा। जिसके बाद हमने एक मानव श्रृंखला बनाई और सभी को एक अलग लॉकअप में स्थानांतरित कर दिया। उन्होंने कहा, “अंदर रहकर हमने न केवल पुलिस कर्मियों बल्कि कैदियों की जान बचाने की कोशिश की। अगर किसी को गोली लगी है तो वह मेडिकल रिपोर्ट में सामने आएगा। हमें चोटें आईं। मुझे गर्व है कि मुझे चोटें लगीं लेकिन मैंने अपने लोगों को बचा लिया।”

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