A
Hindi News भारत राष्ट्रीय 'आर्ट ऑफ लिविंग' के कार्यक्रम से यमुना के डूब क्षेत्र को भारी नुकसान, सुधारने में आएगा 42 करोड़ का खर्च

'आर्ट ऑफ लिविंग' के कार्यक्रम से यमुना के डूब क्षेत्र को भारी नुकसान, सुधारने में आएगा 42 करोड़ का खर्च

एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को बताया है कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक महोत्सव के कारण बर्बाद हुए यमुना के डूब क्षेत्र के पुनर्वास में 42.02 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसक

art of living- India TV Hindi art of living

नई दिल्ली: एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को बताया है कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक महोत्सव के कारण बर्बाद हुए यमुना के डूब क्षेत्र के पुनर्वास में 42.02 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके अलावा कुछ और लागत भी आएगी। विशेषज्ञ समिति ने सुझाया है कि पुनर्वास योजना के दो पहलू- भौतिक और जैविक होंगे और उनमें क्रमश: 28.73 करोड़ रूपए और 13.29 करोड़ रूपए का खर्च आएगा।

(देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें)

डूब क्षेत्र को दुरूस्त करने का काम सुनिश्चित करने में लगने वाले समय और तंत्र के बारे में विस्तार से बताते हुए सात सदस्यीय समिति ने कहा कि भौतिक पहलू पर काम तुरंत शुरू होना चाहिए और इसे दो साल में पूरा किया जाना चाहिए, जबकि भौतिक पहलू पर भी इसके साथ ही काम शुरू करना चाहिए, जिसके पूरे होने में 10 साल का वक्त लगेगा।

दोनों पहलुओं के अलावा डूब क्षेत्र के पुनर्वास में अगले 10 साल तक विशेषज्ञों की टीम पर आने वाले खर्च के लिए भी धन की जरूरत होगी। इसके अलावा सामग्रियों को डूब क्षेत्र से बाहर ले जाने पर भी खर्च आएगा।

ये भी पढ़ें

जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि यह अनुमानित लागत है और इसे विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के जरिए ठोस रूप दिए जाने की जरूरत है। विशेषज्ञ समिति ने एनजीटी को बताया कि यमुना नदी के डूब क्षेत्र को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बड़े पैमाने पर काम कराना होगा।

दिल्ली विकास प्राधिकरण के वकील कुश शर्मा ने समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि वे रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने आरोप लगाया कि समिति के निष्कर्ष पूर्वाग्रहपूर्ण हैं।

फाउंडेशन ने एक विज्ञप्ति में कहा, आर्ट ऑफ लिविंग एक जिम्मेदार और पर्यावरण के मामले में संवेदनशील एनजीओ है। हमने पर्यावरण को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि पिछले कुछ साल में पर्यावरण से जुड़ी परियोजनाओं के जरिए इसके संरक्षण का काम किया है। संस्था ने कहा, हमारी कानून टीम रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और भविष्य के कदम पर फैसला करेगी।

एनजीटी ने पिछले साल एओएल को यमुना के बाढ़ क्षेत्र में तीन दिवसीय विश्व संस्कृति महोत्सव आयोजित करने की अनुमति दी थी। एनजीटी ने इस कार्यक्रम पर पाबंदी लगाने में असमर्थता जाहिर की थी, क्योंकि कार्यक्रम पहले ही आयोजित किया जा चुका था। बहरहाल, एनजीटी ने इस कार्यक्रम के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर फाउंडेशन पर 5 करोड़ रूपए का अंतरिम पर्यावरण जुर्माना लगाया था।

Latest India News