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Hindi News भारत राष्ट्रीय इस खूनी सड़क पर अब तक हो चुके हैं 100 से ज्यादा जवान शहीद

इस खूनी सड़क पर अब तक हो चुके हैं 100 से ज्यादा जवान शहीद

जगरगुंडा बस्तर सुकमा का एक ऐसा इलाका है जहां लोगों की संख्या कम है और जो लोग यहां रहते हैं वे जनबहुल इलाके से कटे रहते हैं।

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के जगरगुंडा गांव के पास नक्सली मुठभेड़ में 25 जवान शहीद हो गए और कई घायल हो गये। शहीद हुए जवान दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 80 किलोमीटर की सड़क पर निर्माण के काम के लिए रास्ता साफ कर रहे थे। जगरगुंडा गांव नक्सलियों का गढ़ है। जगरगुंडा में रहने वाले लोग काफी सालों से नक्सलियों के डर से यहां से पलायन कर रहे हैं। (एक महीने में ही खुल गई योगी सरकार की पोल: अखिलेश यादव)

जगरगुंडा बस्तर सुकमा का एक ऐसा इलाका है जहां लोगों की संख्या कम है और जो लोग यहां रहते हैं वे जनबहुल इलाके से कटे रहते हैं। तीन जिले सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर बराबर 80 किलोमीटर के अंतराल में है। सुकमा जिले के दोरनापाल-जगरगुंडा के बीच 58 किलोमीटर की सड़क बन रही है।

सूत्रों के मुताबिक इस सड़क पर हर महीने औसतन एक जवान नक्सलियों की गोलियों का निशाना बनता है। मौजूदा साल में इस आंकड़े में इजाफा ही हुआ है। कुछ दिन पहले ही इस घटनास्थल से 20 किलोमीटर दूर भेजी नाम की जगह में नक्सलियों ने 12 जवानों को शहीद किया था।

हालांकि ये इलाका पशुओं की तस्करी के लिए भी बदनाम रहा है। लेकिन यहां माओवादी हिंसा का इतिहास भी पुराना है। साल 2006 के बाद यहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है। जगरगुंडा में सरकार ने सलवा जुडूम आंदोलन के तहत कैंप बनाया था। इन कैंपों में आदिवासियों को जंगलों से निकालकर बसाया गया था। इस वजह से कई स्थानीय समूहों में गुस्सा है।

इसी रास्ते पर 2010 में अब तक की सबसे बड़ी नक्सल वारदात हुई थी, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। जगरगुंडा से बीजापुर के बासागुडा तक, दंतेवाड़ा के अरनपुर तक और सुकमा के दोरनापाल तक तीन रास्ते हैं। 2008 में मुकरम के पास नक्सलियों ने सड़क काट दी थी। जगरगुंडा से एक पार्टी थानेदार हेमंत मंडावी के नेतृत्व में गढ्डा पाटने निकली और नक्सलियों के एंबुश में फंस गई। इसमें 12 जवानों ने शहादत दी। सड़क के लिए कई बार टेंडर निकाला गया, लेकिन कोई ठेकेदार सामने नहीं आया। डीजी नक्सल ऑपरेशन व पुलिस हाउसिंग बोर्ड के एमडी डीएम अवस्थी ने बताया कि अब पुलिस खुद सड़क बना रही है।

बासागुडा और अरनपुर की ओर से आवागमन चार दशक से बंद है। दोरनापाल से एकमात्र रास्ता है जो जगरगुंडा तक जाता है। 2007 में जगरगुंडा में सलवा जुडूम कैंप खुलने के बाद नक्सलियों ने चिंतलनार के आगे 12 किमी मार्ग पर सभी पुल उड़ा दिए। बासाग़़ुडा और दोरनापाल दोनों ओर से जगरगुंडा सड़क बन रही है।

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