नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पश्चिम बंगाल में वामपंथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ अभूतपूर्व हिंसा करने का तृणमूल कांग्रेस पर आज आरोप लगाते हुए दावा किया कि पिछले पांच साल में सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्य में 183 वामपंथी कार्यकर्ताओं की हत्या की है और 2000 अन्य को घायल किया है और महिला समर्थकों को खास तौर पर निशाना बनाया गया है।
माकपा ने मोदी सरकार पर भी आरोप लगाया कि वह हर मामले में हस्तक्षेप तो करती है लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी के दागी नेताओं को सुरक्षित करने के लिए सारदा घोटाले में सीबीआई जांच के मामले में सुस्ती दिखा रही है।
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने यहां पत्रकारों से कहा, सरकार और पुलिस के एक बड़े हिस्से के समर्थन से तृणमूल ने वामपंथी कार्यकर्ताओं और उन लोगों के खिलाफ हिंसा छेड़ रखी है जो उनका विरोध करते हैं और उनसे मतभेद रखते हैं। हमने आजाद भारत के इतिहास में किसी राजनीतिक दल के खिलाफ बड़े पैमाने पर इस तरह के हमले नहीं देखे हैं।
करात ने कहा, केन्द्र सरकार लगभग हर मुद्दे पर हस्तक्षेप करती है लेकिन पश्चिम बंगाल के नेताओं के खिलाफ सीबीआई जांच के मुद्दे पर यह नहीं हो रहा है। इस तरह, यह साफ है कि मोदी सरकार इन नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है।
करात और माकपा नेता एमए बेबी ने इस अवसर पर एक पुस्तिका डेमोक्रेसी अंडर सीज इन वेस्ट बेंगाल (पश्चिम बंगाल में घेरेबंदी में लोकतंत्र) जारी की जिसके अनुसार तृणमूल के लोगों ने कथित रूप से माकपा के 649 कार्यालय, वाम मोर्चा के 14 और कांग्रेस के इतने ही कार्यालय लूटे और इसी तरह ट्रेड यूनियनों के 131 कार्यालयों पर हमले किए गए।
पुस्तिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले पांच साल के दौरान तृणमूल के लोगों ने आठ वामपंथी महिला समर्थकों का बलात्कार किया है जबकि 86 अन्य महिला समर्थकों पर शारीरिक या यौन हमला किया गया।
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