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Hindi News भारत राष्ट्रीय ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक

बता दें कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक क़रार दिया। कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में 6 महीने के अंदर क़ानून बनाने को कहा है। फ़िलाहल ट्रिपल तलाक पर 6 महीने की रोक लगा दी है। 5 में से 3 जजों ने ट्

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नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के पांच में से तीन जजों द्वारा असंवैधानिक करार किए जाने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक फैसला बताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिलेगा और कोर्ट का ये फैसला महिला सशक्तिकरण की ओर एक बड़ा कदम है। ये भी पढ़ें: ओवैसी को हैदराबाद लोकसभा सीट पर हराने की योजना पर चल रहा है काम: BJP

वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस फैसले को मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत बताया है। अमित शाह ने कहा कि सर्वोच्च अदालत के तीन तलाक के मुद्दे पर लिए गए ऐतिहासिक फैसले का मैं सम्मान करता हूं। ये फैसला किसी की जय या पराजय का नहीं है, ये मुस्लिम महिलाओं के समानता के अधिकार और मूलभूत संवैधानिक अधिकार की विजय है। अमित शाह ने कहा कि वो पीएम मोदी और भाजपा सरकार को मुस्लिम महिलाओं के पक्ष को विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से सुप्रीम कोर्ट में रखने के लिए धन्यवाद देते हैं।

बता दें कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक क़रार दिया। कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में 6 महीने के अंदर क़ानून बनाने को कहा है। फ़िलाहल ट्रिपल तलाक पर 6 महीने की रोक लगा दी है। 5 में से 3 जजों ने ट्रिपल तलाक के ख़िलाफ़ बात कही। गौरतलब है कि कोर्ट ने इस साल मई में इस मामले पर सुनवाई की थी और सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले संवैधानिक पीठ ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा था कि क्या औरतें तीन तलाक को ना कह सकती हैं? पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील सिब्बल से चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने पूछा था कि क्या महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ना कहने का विकल्प दिया जा सकता है। क्या सभी काजियों से निकाह के समय इस शर्त को शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया जा सकता है?

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