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Hindi News भारत राष्ट्रीय अमेरिकी राजनयिक ने अरुणाचल प्रदेश को बताया भारत का अभिन्‍न अंग, भड़का चीन

अमेरिकी राजनयिक ने अरुणाचल प्रदेश को बताया भारत का अभिन्‍न अंग, भड़का चीन

अरुणाचल प्रदेश के भारत का अभिन्न अंग होने से जुड़े एक अमेरिकी राजनयिक के हालिया बयान पर ऐतराज जताते हुए चीन ने बुधवार (4 मई) को कहा कि वह वॉशिंगटन से सफाई मांगने की तैयारी में है, क्योंकि भारत-चीन सीमा विवाद में किसी ‘‘गैर-जिम्मेदार’’ तीसरे पक्ष की दख

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नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के भारत का अभिन्न अंग होने से जुड़े एक अमेरिकी राजनयिक के हालिया बयान पर ऐतराज जताते हुए चीन ने बुधवार (4 मई) को कहा कि वह वॉशिंगटन से सफाई मांगने की तैयारी में है, क्योंकि भारत-चीन सीमा विवाद में किसी ‘‘गैर-जिम्मेदार’’ तीसरे पक्ष की दखलंदाजी मामले को और ‘‘उलझा’’ देगी। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीनी पक्ष ने रिपोर्ट पर गौर किया है और अमेरिकी पक्ष से सत्यापन और स्पष्टीकरण के लिए कहा जाएगा।’’

मंत्रालय ने आगे कहा, ‘‘लेकिन साफ तौर पर अमेरिकी पक्ष का बयान तथ्यों से पूरी तरह परे है।’’ चीनी विदेश मंत्रालय से कोलकाता में अमेरिकी महावाणिज्यदूत क्रेग एल हॉल के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें अमेरिकी राजनयिक ने कहा था कि वॉशिंगटन अरूणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग मानता है। गौरतलब है कि चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता है और उस पर अपनी दावेदारी जताता रहा है।

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बीते 28 अप्रैल को ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलिखो पुल के साथ अपनी मुलाकात के दौरान हॉल ने कहा कि अमेरिकी सरकार का रुख पूरी तरह साफ है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न अंग है। अपने जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीन और भारत समझदार हैं और अपने मुद्दों से खुद निपटने एवं दो लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हितों की रक्षा करने में काफी सक्षम हैं।’’

मंत्रालय ने कहा, ‘‘किसी तीसरे पक्ष के दखल से मामला ज्यादा उलझेगा और यह काफी गैर-जिम्मेदाराना है।’’ दोनों देशों ने पिछले महीने विशेष प्रतिनिधियों – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जाइची – के बीच सीमा वार्ता का 19वां दौर पूरा किया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को अपने दायरे में लेती है। चीन का कहना है कि सीमा विवाद 2,000 किलोमीटर, खासकर पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश, तक सीमित है जबकि भारत का कहना है कि इस विवाद में 1962 के युद्ध के दौरान चीन की ओर हड़प लिया गया अक्साई चिन सहित समूची एलएसी शामिल है।

हाल के बयान के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीन और भारत के बीच सीमा का सवाल चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और चीनी लोगों की भावनाओं से जुड़ा है।’’  बयान के मुताबिक, ‘‘सभी तीसरे पक्षों को सीमा के सवाल से जुड़े इतिहास और वास्तविकता का सम्मान करना चाहिए, चीन और भारत के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए ताकि वार्ता के जरिए क्षेत्रीय विवादों का समाधान किया जा सके, उन्हें विवादों में शामिल नहीं होना चाहिए और न ही विवादित क्षेत्र के स्वामित्व से जुड़े मुद्दों पर पक्ष लेना चाहिए ।’’

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