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क्या है बादल फटने का मतलब, पल भर में कैसे आता है आसमान से प्रलय?

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिलने लगती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है।

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नई दिल्ली: मई का महीना गुजर गया लेकिन मई की शुरुआत में शुरू हुई आंधी-तूफान के साथ आसमानी आफत का सिलसिला जून में भी जारी है। उत्तराखंड में जहां बादल फटने से तबाही और दहशत मची वहीं दिल्ली-एनसीआर समेत करीब-करीब आधे हिंदुस्तान में एक बार फिर आंधी-तूफान का कहर टूटा। शुक्रवार को उत्तराखंड के 3 जिलों में बादल फटने की घटना हुई जिससे पहाड़ों पर काफी नुकसान हुआ। वहीं आंधी तूफान के चलते दिल्ली समेत अलग-अलग राज्यों में पांच से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई लेकिन इन सबके बाद भी मौसम का ख़तरा अभी भी टला नहीं है।

क्या है बादल फटने का मतलब?
बादल फटने का मतलब बादल के दो टुकड़े होना नहीं होता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब एक जगह पर बहुत ही कम समय में अचानक भारी बारिश आ जाती है तो उसे ही बादल फटना कहते हैं। आप इसे इस तरह समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे की ओर गिर जाता है। ठीक उसी तरह बादल फटने की घटना में पानी से भरे बादल की बूंदें अचानक जमीन की तरफ आती हैं। बादल फटने को फ्लैश फ्लड भी कहा जाता है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिलने लगती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटने पर 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है। बहुत कम समय में भारी बारिश होने को ही बादल फटना कहते हैं लेकिन यहां ये सवाल उठता है कि बादल फटने की घटना अक्सर पहाड़ों पर ही क्यों होती हैं?

क्यों फटते हैं पहाड़ों पर बादल?
वैज्ञानिकों की मानें तो इसकी वजह है पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते और फिर अचानक एक ही जगह पर तेज़ बारिश होने लगती है। चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है। पहाड़ों पर 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटते हैं।

पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है जो सैलाब का रूप ले लेती है। पहाड़ पर बारिश का पानी रूक नहीं पाता इसीलिए तेजी से पानी नीचे की तरफ आता है और नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े साथ लेकर आता है। ये कीचड़ वाला सैलाब काफ़ी भीषण होता है जो अपने रास्ते में पड़ने वाले हर एक चीज़ को अपने साथ लेकर आगे बढ़ता जाता है।

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