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क्यों किरण बेदी को याद कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन करने वाले दिल्ली पुलिसकर्मी? 31 साल पहले की है घटना

पुलिस कर्मी पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को याद कर रहे हैं और किरण बेदी की फोटो लगे पोस्टर लहरा रहे हैं, पोस्टर पर लिखा हुआ है कि हमारे परिवार का मुखिया कहां है जो हमारा ध्यान रख सके।

Why Delhi Police personals remembering Kiran Bedi Police- India TV Hindi Image Source : TWITTER Why Delhi Police personals remembering Kiran Bedi Police

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिसकर्मियों की वकीलों के साथ हुई हिंसक झड़प और वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों की कथित पिटाई के बाद दिल्ली पुलिस के कर्मी मंगलवार को आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मी पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को याद कर रहे हैं और किरण बेदी की फोटो लगे पोस्टर लहरा रहे हैं, पोस्टर पर लिखा हुआ है कि हमारे परिवार का मुखिया कहां है जो हमारा ध्यान रख सके। पुसिलकर्मी किरण बेदी के समर्थन में नारे लगाते हुए भी नजर आए, पुलिस कर्मी कह रहे थे ‘हमारा सीपी कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो।’ किरण बेदी फिलहाल पॉण्डिचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं लेकिन उन्होंने दिल्ली पुलिस में अपनी सेवा के दौरान पुलिस कर्मियों के लिए ऐसा क्या किया था जिस वजह से पुलिस कर्मी उन्हें याद कर रहे हैं?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें 31 साल पहले 1988 की उस घटना को याद करना होगा जब किरण बेदी उत्तरी दिल्ली की डिप्टी कमिश्नर हुआ करती थीं। विवाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज में चोरी के मामले से शुरू हुआ और इस मामले में शक के तौर पर कॉलेज कैंपस से पुलिस ने एक वकील को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया। वकील को हथकड़ी लगाने के मामले ने विवाद पकड़ा और दिल्ली के वकीलों ने किरण बेदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का मोर्चा खोल दिया। वकीलों का तर्क था कि किसी भी आरोपी को हथकड़ी लगाना गैर कानूनी है। ऐसा कहा जाता है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच कई झड़पें हुई और ऐसी ही एक झड़प में 21 जनवरी 1988 को 18 वकील जख्मी हो गए। इस मामले ने तूल पकड़ा और दिल्ली की निचली अदालतों सहित उच्च और उच्चतम अदालतों के वकीलों ने भी किरण बेदी का विरोध करना शुरु कर दिया।

उस समय वकीलों ने आरोप लगाया कि तीस हजारी कोर्ट में 3 हजार लोगों की भीड़ ने अदालत परिसहर में घुसकर वकीलों की गाड़ियां और चेंबर तोड़ दिए। वकीलों का आरोप था कि भीड़ ने यह सब किरण बेदी के कहने पर किया। इस घटना के बाद वकील किरण बेदी की बर्खास्तगी की मांग करने लगे और 20 फरवरी 1988 को फिर से किरण बेदी के दफ्तर के नजदीक पुलिस कर्मियों और वकीलों के बीच झड़प हुई। इस पूरे मामले की जांच के लिए बनी न्यायिक कमेटी के सामने किरण बेदी ने 20 फरवरी की घटना के बारे में सफाई देते हुए कहा था कि वकीलों ने एक महिला पुलिस कर्मी को धक्का दिया था और साथ में महिला पुलिस कर्मी पर अभद्र टिप्पणियां भी कर रहे थे।

1988 में हुई इस घटना की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं, एक बार फिर से दिल्ली पुलिस और दिल्ली के वकील आमने-सामने हैं और दिल्ली पुलिस के कर्मी किरण बेदी को याद कर रहे हैं।

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