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15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र

केंद्र सरकार 15 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की संभावना पर विचार कर रही है जो गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के एक दिन बाद है...

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार 15 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की संभावना पर विचार कर रही है जो गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के एक दिन बाद है। सरकारी सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में संसदीय मामलों पर संसदीय समिति (सीसीपीए) की आज बैठक में शीतकालीन सत्र की तिथि के बारे में चर्चा की गई। उन्होंने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि संसद सत्र 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक हो सकता है।

सूत्र ने बताया कि इस बारे में एक दो दिनों में निर्णय लिये जाने की संभावना है। बाद में कैबिनेट के निर्णय के बारे में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र का कार्यक्रम ऐसा होगा कि इसका विधानसभा चुनाव से टकराव नहीं हो और यह नियमित सत्र होगा।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब चुनाव होते हैं, तब राजनीतिक दलों को सीधे लोगों को संबोधित करना होता है, सामान्य तौर पर चुनाव और संसद सत्र की तिथियों में टकराव नहीं होता। जेटली ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि संसद का शीतकालीन सत्र नियमित हो लेकिन चुनाव और सत्र की तिथि में टकराव नहीं हो।

कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए जेटली ने कहा कि गुजरात चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है और वह वहां प्रचार में व्यस्त रहेगी लेकिन वे इस बात के प्रति आश्वस्त नहीं है कि विपक्ष भी वहां प्रचार में व्यस्त होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या सत्र दिसंबर से जनवरी तक चलेगा और राष्ट्रपति के संबोधन के बिना होगा, तो जेटली ने कहा कि इस विषय का निपटारा बहुत पहले हो चुका है।

सरकार से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया कि शीतकालीन सत्र की औपचारिक घोषणा तब होगी जब कैबिनेट के समक्ष आज पेश किए गए दो अध्यादेश जारी हो जायेंगे। संसद सत्र की तिथि की घोषणा के बाद अध्यादेश जारी नहीं किया जा सकता है।

संसद के शीतकालीन सत्र की घोषण में देरी को लेकर विपक्ष सरकार को निशाना बना रही है जबकि भाजपा इन आरोपों को आधारहीन बता चुकी है। भाजपा का कहना है कि संप्रग और उससे पहले की सरकारों के दौरान में भी ऐसा हुआ है।

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