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Hindi News भारत राष्ट्रीय अमित शाह ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर साधा निशाना, कहा-आतंकवाद के पनाहगारों पर लगें आर्थिक प्रतिबंध

अमित शाह ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर साधा निशाना, कहा-आतंकवाद के पनाहगारों पर लगें आर्थिक प्रतिबंध

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा, कुछ देशों, उनकी सरकारों और उनकी एजेंसियों ने 'आतंकवाद' को अपनी सरकारी नीति बना लिया है। इन आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ सख्त आर्थिक प्रतिबंध के साथ-साथ इनकी बेलगाम गतिविधियों पर रोक लगाना भी जरूरी है।

अमित शाह - India TV Hindi Image Source : PTI अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश बार-बार आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने इसे अपनी सरकारी नीति बना लिया है। शाह ने इन “आतंकवाद की पनाहगाहों” के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने भू-राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इन देशों से निपटने के तरीके को लेकर अपना मन बनाना होगा और तेजी से जटिल और व्यापक होते इस खतरे के खिलाफ “कंधे से कंधा मिलाकर” लड़ाई जारी रखनी होगी। शाह  ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आयोजित तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।

कोई देश आतंकवाद से अकेले नहीं निपट सकता: विदेश मंत्री

इसी कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी इसी तरह के विचार प्रकट किए। शाह ने कहा, “कोई भी देश या संगठन अकेले आतंकवाद से नहीं निपट सकता।” जयशंकर ने आतंकवाद से निपटने के लिए एक ‘‘एकसमान और ठोस’’ दृष्टिकोण की वकालत की और राष्ट्रों से इस खतरे से निपटने के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने का आग्रह किया। 

विदेश मंत्री ने आतंकवाद के कारण वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के अस्तित्व के सामने मौजूद खतरों को उजागर करने के लिए भारत और समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए कहा, ‘आतंक, आतंक है और इसे कभी सही नहीं ठहराया जा सकता। हम इस संकट और इसे पोषित करने व आगे बढ़ाने वालों उजागर करते रहेंगे।'

अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया

शाह और जयशंकर ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आयोजित तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। शनिवार को समाप्त हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गृह मंत्रालय ने किया था और इसमें 75 से अधिक देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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