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Hindi News भारत राष्ट्रीय नहीं रहा सेना का 'जूम', आतंकियों से लड़ते हुए गवाई जान, पढ़ें उसके बहादुरी के किस्से

नहीं रहा सेना का 'जूम', आतंकियों से लड़ते हुए गवाई जान, पढ़ें उसके बहादुरी के किस्से

जूम की उम्र दो साल एक महीने थी और वह बेल्जियम मूल का शेफर्ड नस्ल का कुत्ता था, जो पिछले आठ महीने से सेवा में था। वह बेहतर तरीके से प्रशिक्षित, बहादुर और सेवा के लिए प्रतिबद्ध था। उसे मुख्य रूप से आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें मार गिराने के काम के लिए प्रशिक्षित किया गया था।

Army Dog Zoom- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Army Dog Zoom

Highlights

  • नहीं रहा सेना का 'जूम'
  • आतंकियों से लड़ते हुए गवाई जान
  • पढ़ें उसके बहादुरी के किस्से

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में इस हफ्ते की शुरुआत में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल सेना के ‘असॉल्ट डॉग’ ‘जूम’ ने गुरुवार को दम तोड़ दिया। अधिकारियों ने बताया कि जूम को यहां एडवांस फील्ड वेटरेनरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, लेकिन दोपहर में उसने दम तोड़ दिया। अधिकारियों ने कहा, ''जूम की हालत में सुधार हो रहा था और उस पर इलाज का असर हो रहा था। दोपहर तक जूम बेहतर लग रहा था, लेकिन अचानक उसने हांफना शुरू कर दिया और इसके बाद उसने दम तोड़ दिया।''

जूम शेफर्ड नस्ल का कुत्ता था

जूम की उम्र दो साल एक महीने थी और वह बेल्जियम मूल का शेफर्ड नस्ल का कुत्ता था, जो पिछले आठ महीने से सेवा में था। वह बेहतर तरीके से प्रशिक्षित, बहादुर और सेवा के लिए प्रतिबद्ध था। उसे मुख्य रूप से आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें मार गिराने के काम के लिए प्रशिक्षित किया गया था। सोमवार को दक्षिण कश्मीर के जिले में तंगपावा इलाके में मुठभेड़ के दौरान वह घायल हो गया था। सुरक्षा बलों ने तंगपावा इलाके में आतंकवादियां की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी एवं घेराबंदी अभियान शुरू किया था। 

सेना के अधिकारियों ने जताया शोक

इस पूरे मामले भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा, ''आर्मी डॉग जूम हमारी टीम का एक अमूल्य हिस्सा था। 2 साल की छोटी उम्र के बावजूद, जूम कई सीटी ऑपरेशन का अनुभवी था, जहां उसने अपनी ऊर्जा और साहस से खुद को साबित किया था। 9 अक्टूबर को अनंतनाग में जो ऑपरेशन हुआ था उसके दौरान ज़ूम ने अहम भूमिका निभाई थी।'' अधिकारी ने बताया कि जूम ने ना सिर्फ आतंकियों की लोकेशन की पहचान की, बल्कि उनमें से एक को डिसेबल भी कर दिया। हालांकि, इस दौरान उसे 2 गोलियां लगीं। घायल होने के बावजूद, ज़ूम ने अन्य छिपे हुए आतंकवादियों का पता लगाया।

घायल होने के बाद जूम को तुरंत सेना के एनिमल हॉस्पिटल, श्रीनगर ले जाया गया जहां उसने आखिरी तक संघर्ष किया। हालांकि आज सुबह 11:50 पे उसने अंतिम सांस ली। जूम जैसा हमने एक बहादुर टीम सदस्य खो दिया है जो हमें समर्पण और साहस के साथ अपना काम करने के लिए हमेशा प्रेरित करेगा।

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