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Hindi News भारत राष्ट्रीय Cow Dung Log Machine: अब 'गोबर से बनी लकड़ियों' से होगा दाह संस्कार, IIT दिल्ली को मिली गो काष्ठ बनाने वाली मशीन

Cow Dung Log Machine: अब 'गोबर से बनी लकड़ियों' से होगा दाह संस्कार, IIT दिल्ली को मिली गो काष्ठ बनाने वाली मशीन

केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ को सूखे गोबर से लट्ठे (लॉग) बनाने वाली एक “गो काष्ठ” मशीन सौंपी। इसका मकसद भारत में दाह संस्कार की हिंदू प्रथा के तहत लकड़ियों के स्थान पर गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल करना है।

Union Minister Parshottam Rupala hands over cow dung log machine- India TV Hindi Image Source : TWITTER Union Minister Parshottam Rupala hands over cow dung log machine  

Highlights

  • आईआईटी दिल्ली को मिली गो काष्ठ मशीन
  • केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने सौंपी
  • सूखे गोबर से लट्ठे बनाने का करेगी काम

Cow Dung Log Machine: केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ को सूखे गोबर से लट्ठे (लॉग) बनाने वाली एक “गो काष्ठ” मशीन सौंपी। इसका मकसद भारत में दाह संस्कार की हिंदू प्रथा के तहत लकड़ियों के स्थान पर गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल करना है। आईआईटी-दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ और ‘ईएनएसीटीयूएस’ ने लकड़ी का विकल्प प्रदान करने की पहल की है जो जलने पर ज्यादा उत्सर्जन नहीं करता है। 

मशीन की खासियत-

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह मशीन प्रति दिन 3000 किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल कर 1500 किलोग्राम गोबर के लट्ठे का उत्पादन कर सकती है। इस लकड़ी का इस्तेमाल 5 से 7 शवों के दाह-संस्कार के लिए सामान्य लकड़ी के स्थान पर किया जा सकता है और इस तरह हर दाह-संस्कार में जलाए जाने वाले करीब दो पेड़ों को बचाया जा सकता है। 

गोबर के निस्तारण में मदद-

बयान में कहा गया है कि इससे गौशालाओं को हर महीने 1.5 लाख से लेकर 1.7 लाख किलोग्राम गोबर का निस्तारण करने में मदद मिलेगी। गोबर आधारित लट्ठे बनाने वाली यह मशीन गौशालाओं को अपने कचरे के निस्तारण की समस्या को दूर करने में सहायक होगी और जिस स्थान पर इस मशीन को लगाया जाएगा, वहां रहने वाले और आसपास के गांव के निवासियों के लिए यह रोजगार का एक अतिरिक्त स्रोत बनेगी। 

वनों की कटाई में होगी 'कटौती'-

इसके साथ ही यह वनों की कटाई को कम करने में भी मदद करेगी। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने प्रोजेक्ट अर्थ के छात्रों को “गो काष्ठ” मशीन सौंपी। बयान के अनुसार दूध देना बंद कर चुकी गायों को भी इस तरह की मशीनों से आर्थिक गतिविधि में शामिल किया जा सकेगा और इस तरह गौशाला में रहने वाली सभी गायों की देखभाल के लिए धन पैदा किया जा सकेगा। 

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