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Hindi News भारत राष्ट्रीय PM मोदी का प्राइवेट सेक्रेटरी बताकर ठगी का मामला, दिल्ली पुलिस कर रही जांच

PM मोदी का प्राइवेट सेक्रेटरी बताकर ठगी का मामला, दिल्ली पुलिस कर रही जांच

यह मामला इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता कुनाल मर्चेंट का है, जिन्होंने दावा किया कि उन्हें पीएमओ में तैनात विवेक कुमार से एक ईमेल मिला जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तेमाल के लिए खासतौर से एक मेज का डिजाइन बनाने को कहा गया है।

Rakesh Asthana- India TV Hindi Image Source : PTI Delhi Police Commissioner Rakesh Asthana

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में कथित तौर पर तैनात एक अधिकारी बताने वाले एक व्यक्ति के बारे में मिली शिकायत के आधार पर जांच शुरू की है। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने ट्विटर पर कथित धोखेबाज और अधिकारी के बीच ईमेल का एक स्क्रीनशॉट साझा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रधानमंत्री कार्यालय में एक पदाधिकारी के खिलाफ जालसाजी, नकली वेश धारण करने और पहचान छुपाने की शिकायत मिली है। मामले की जांच चल रही है।’’

यह मामला इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता कुनाल मर्चेंट का है, जिन्होंने दावा किया कि उन्हें पीएमओ में तैनात विवेक कुमार से एक ईमेल मिला जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तेमाल के लिए खासतौर से एक मेज का डिजाइन बनाने को कहा गया है।

खुद को पीएम मोदी का प्राइवेट सेकेट्री बताकर फ़्रॉड करने की कोशिश करने वाले शख्स की पहचान और गिरफ्तारी का काम दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ यूनिट को दिया गया है। असल में खुद को विकास कुमार पीएम का प्राइवेट सेकेट्ररी बताकर इस शख्स ने pmo@mygov.nic.in की मेल से कुनाल मर्चेंट नाम के शख्स को मेल करके लिखा कि उसका काम पीएम को पसंद आया और पीएम चाहते है कि एक एग्जिक्यूटिव टेबल जिसका इस्तेमाल वो खुद करेंगे, ये डेस्क ये बनाए।

पीएमओ दफ्तर से पुलिस को ये जानकारी दी गई कि पीएम दफ्तर से ऐसा कोई मेल नहीं किया गया है। दिल्ली पुलिस कमिशनर ने खुद ट्विट करके इस शिकायत की जानकारी पब्लिक डोमेन में दी ताकि कोई ऐसी जालसाजी का शिकार न हो। मामला साइबर फ्रॉड का है इसलिए इसकी जांच आईएफएसओ यूनिट करेगी जिसके डीसीपी केपीएस मल्होत्रा है। अब जिस कुनाल मर्चेंट नाम के शख्स ने ये मेल रिसीव किया है उसका इसमें क्या रोल है, इसे ही ये मेल क्यों आया है ये अभी जांच का विषय है।

आपको बता दें कि कभी भी किसी सरकारी दफ्तर से किसी कंपनी कोई कॉन्ट्रेक्ट दिया जाता हैं तो उसका टेंडर निकाला जाता है, अखबार में विज्ञापन दिया जाता है। अगर किसी सरकारी अधिकारी या नेता के नाम पर आपको कोई मेल करके जानकारी दे तो समझ जाए ये फ़्रॉड हो सकता है ऐसे में इसकी जांच करें और साइबर सेल को इसकी जानकारी दे।

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