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Hindi News भारत राष्ट्रीय VIDEO: 35 हाथियों जितने भारी शिवलिंग को कारीगरों ने कैसे दिया आकार, लगा कितना समय और पैसा?

VIDEO: 35 हाथियों जितने भारी शिवलिंग को कारीगरों ने कैसे दिया आकार, लगा कितना समय और पैसा?

तमिलनाडु के महाबलीपुरम में बनाए गए 33 फीट ऊंचे और 210 टन वजनी विशाल शिवलिंग को कैसे बड़ी चट्टान से तराशा गया। इसे बनाने में कितना समय और पैसा खर्च हुआ, इसके बारे में जानिए।

महाबलीपुरम में विशाल...- India TV Hindi Image Source : REPORTERS INPUT महाबलीपुरम में विशाल शिवलिंग बनने की प्रक्रिया के बारे में जानिए।

महाबलीपुरम: बिहार में बनाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर में आधुनिक शिल्प कला और आस्था का एक अनोखा संगम देखने को मिल रहा है. यहां स्थापित होगा भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग, जिसे तमिलनाडु के महाबलीपुरम में करीब 250 टन की एक बड़ी ग्रेनाइट चट्टान से तराशा गया है। इसको आकार देने में लगभग 10 साल का लंबा वक्त लगा. यह भव्य शिवलिंग, 210 मीट्रिक टन वजनी और ऊंचाई में 33 फीट है। इसे लगभग 100 टायरों वाले एक ट्रक पर लादकर महाबलीपुरम से बिहार लाया जा रहा है। उम्मीद है कि इस मंदिर के बनने के बाद बिहार पर्यटन और श्रद्धा का ग्लोबल सेंटर बनेगा। इस आर्टिकल में जानिए कि 35 अफ्रीकन हाथियों जितना भारी यह शिवलिंग शिल्पकारों ने कैसे तैयार किया।

चट्टान से कैसे तराशा गया विशाल शिवलिंग?

सबसे पहले, ग्रेनाइट के बड़े मजबूत पत्थर को चुना गया, जिसका वजन लगभग 250 मीट्रिक टन था। प्रारंभिक चरण में, कारीगरों ने ग्राइंडर और ब्लेड के इस्तेमाल से पत्थर के अनावश्यक बाहरी हिस्सों को काट दिया। फिर ग्राइंडर को घुमावदार तरीके से चलाया गया जिससे कि पत्थर शिवलिंग के आकार का यानी बेलनाकार हो जाए। इसके बाद उसको बुनियादी आकार मिला। फिर छोटे औजारों से शिवलिंग पर आकृतियां उकेरी गईं। फिर ग्राइंडर के निशानों को हटाने के लिए सैंडपेपर से पत्थर की घिसाई हुई। कारीगरों ने मेहनत से लगातार घिसाई करके शिवलिंग को मंदिर में स्थापित करने के लिए चिकना और चमकदार बनाया। पत्थर से शिवलिंग तैयार करने में करीब 10 साल का समय लगा है।

विशाल शिवलिंग को कैसे लाया जा रहा 2316 KM दूर?

बिहार में पूर्वी चंपारण के चकिया में दुनिया का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर बनाया जा रहा है। इस मंदिर में ही 33 फीट के शिवलिंग की स्थापना होगी। यह शिवलिंग, तमिलनाडु में महाबलीपुरम के पट्टीकाडु गांव में बनाया गया है। इसे बनाने में करीब 10 साल लगे हैं। इस शिवलिंग को सड़क के रास्ते महाबलीपुरम से करीब 100 टायरों वाले ट्रक पर लादकर पूर्वी चंपारण लाया जा रहा है।

रास्ते में हो रहा शिवलिंग का भव्य स्वागत

जानकारी के अनुसार, ट्रक शिवलिंग को लेकर नागपुर और जबलपुर होते हुए NH-44 के रास्ते से आ रहा है। यह विशाल शिवलिंग करीब 20 दिन बाद बिहार पहुंचेगा। शिवलिंग के भारी होने की वजह से ट्रक को महज 5 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलाया जा रहा है। इस पर शिवलिंग को बनाने में लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। उम्मीद है कि फरवरी तक यह विशाल शिवलिंग विराट रामायण मंदिर में स्थापित होगा। महाबलीपुरम से पूर्व चंपारण लाए जा रहे इस शिवलिंग का रास्ते में भव्य स्वागत हो रहा है। यह भारत के किसी भी मंदिर में स्थापित होने वाला सबसे विशाल शिवलिंग है।

उस मंदिर की खासियत जहां स्थापित होगा शिवलिंग

गौरतलब है कि विराट रामायण मंदिर 3 मंजिल का होगा। इस मंदिर में ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग को स्थापित किया जाएगा। चेन्नई के पास महाबलीपुरम में लगभग 250 टन वजन वाले ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशने के बाद यह विशाल शिवलिंग बनकर तैयार हुआ है। इस शिवलिंग का वजन करीब 210 टन है। इसकी ऊंचाई और गोलाई 33 फीट है।

जान लें कि विराट रामायण मंदिर, पूर्वी चंपारण जिले के जानकीनगर में हो रहा है। बिहार की राजधानी पटना से इस मंदिर की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। इस मंदिर में चार आश्रम होंगे। यह मंदिर, आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। आशा है कि विराट रामायण मंदिर बनने के बाद इसमें बिहार ही नहीं, देश-दुनिया के तमाम देशों से श्रद्धालु प्रभु के दर्शन करने और मंदिर की भव्यता देखने पहुंचेंगे। पूर्वी चंपारण का विराट रामायण मंदिर, पर्यटन के बड़े स्थलों में शुमार हो सकता है।

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