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Hindi News भारत राष्ट्रीय Swiss National Bank: काले धन का केन्द्र कैसे बना स्विस बैंक, जानिए आखिर क्यों यहां पर पैसा जमा करना है आसान

Swiss National Bank: काले धन का केन्द्र कैसे बना स्विस बैंक, जानिए आखिर क्यों यहां पर पैसा जमा करना है आसान

Swiss National Bank: इस बैंक के बारें में कौन नहीं जानता है। काला धन का केन्द्र कहा जाने वाला बैंक ना जाने कितने हजार करोड़ रुपये भारत का इन बैंको में जमा है। आपको पता है कि इन बैंको में कैसे पैसे जमा होते हैं।

Swiss National Bank- India TV Hindi Image Source : INDIA TV/TWITTER Swiss National Bank

Highlights

  • दुनिया भर के पैसे यहीं पर जमा होते हैं
  • सबकी नजर स्विस बैंक की ओर पड़ी
  • सीक्रेसी इंडेक्स 2020 में तीसरे स्थान पर है

Swiss National Bank: अगर आप से कोई पुछे की काला धन कहां पर जमा होता है तो आपके दिमाग में उस बैंक का नाम तुरंत याद आ जाएगा। याद भी क्यों ना आए, इस बैंक का इतना बार जिक्र हो चुका है कि बच्चा-बच्चा भी इस बैंक के बारे में जान चुके हैं। ये ऐसा बैंक जहां दुनिया भर के गलत तरीके से अर्जित किए हुए पैसों को जमा करने का आरोप लगता है और इस बैंक ऊपर तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि इन बैंक में भारतीयों का काला धन जमा है। इसी आधार पर बीजेपी ने कांग्रेस को टारगेट करके सत्ता में भी आई थी। अब आपके मन में सवाल आता ही होगा कि इस बैंक में जितने पैसे है वो सारा काला धन है। और ये भी सोच रहे होंगे कि जब सरकार को पता है कि इस बैंक में भारत का काला धन जमा है तो क्यों नहीं उन पैसों को भारत में लाया जा रहा है। आपको बता दें कि ये काम इतना आसान नहीं है। 

भारत सरकार को मिला चौथा लिस्ट 
हाल ही में स्विस बैंक भारतीय खाताधारकों की लिस्ट जारी की है। ये चौथी लिस्ट है जो भारत को मिली है। इस लिस्ट में देश कई ट्रस्ट, कंपनियां और नामचीन हस्तियों का नाम है। सरकार ने इस लिस्ट को सार्वजनिक नहीं किया है क्योंकि चल रहे हैं जांच में इसका उल्टा असर पड़ सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्विट्जरलैंड ने भारत समेत 101 देशों को 34 लाख खाताधारकों की लिस्ट शेयर की है। वहीं आपको बता दें कि इस लिस्ट में शामिल सैकड़ो भारत के लोगों का नाम है। स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (FTA) ने बताया कि भारत उन देशों में शामिल है जिन्हें भारतीय खाताधारकों की चौथी लिस्ट भेजी गई है।

इसी संबंध में आगे एफटीए ने बताया कि यह सूचना पिछले महीने भेजी गई थी। अब इस प्रकार की अगली सुचना सितंबर 2023 में भेजी जाएगी। इस देश की आबादी मात्र 86 लाख है और जानकार हैरान हो जाएंगे कि इस देश में तकरीबन 400 के आस-पास बैंक है। आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इन बैंको में रईसों और बड़े-बड़े कंपनियों के पैसे क्यों जमा किए जाते हैं। इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है, सिम्पल है कि इन बैंको में खाताधारकों की जानकारी गोपनीय रखी जाती है। जिसके कारण यहां पैसा जमा करना आसाना होता है। 

ग्राहकों से जुड़ी जानकारी साझा करने पर हो जाती है जेल 
यहां की बैंको की गोपनीयता पॉलिसी के मुताबिक, बैंक अपने ग्राहकों की पहचान और उनसे जुड़ी हर जानकारी हाइड करते हैं, वो किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं। आप जानकर चौक जाएंगे कि अपने ग्राहकों की जानकारी गोपनीय रखने का इतिहास करीब 300 साल से ज्यादा पुराना है। साल 1713 में ग्रेट काउंसिल ऑफ जिनेवा ने स्विस बैंको के लिए नियम बनाए थे, इस नियम के मुताबिक बैंक सिर्फ अपने ग्राहक के रजिस्टर या जानकारी सिटी काउंसिल के अलावा किसी और के साथ साझा नहीं कर सकते हैं। अगर ग्राहकों से जुड़ी जानकारी को किसी अन्य लोगों के साथ शेयर की जाएगी तो फिर उस बैंक के ऊपर कानूनी कार्रवाई होगी। यानी आसान भाषा में समझे कि बैंक का कोई भी अधिकारी किसी अन्य लोगों के साथ किसी ग्राहक की दस्तावेज को शेयर करता है तो उस अधिकारी को जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

किसी-किसी मामले में जब बैंको को ग्राहकों से जुड़ी जानकारी को साझा करनी पड़ती है, लेकिन ये तब होता है जब ग्राहक के ऊपर कोई गंभीर आरोप लगा हो और कोर्ट के चक्कर में फंसा हो। यानी समझ लें कि कोर्ट के आदेश पर बैंको को ग्राहकों के बारे में बतानी पड़ सकती है। इतनी सख्त पॉलिसी के कारण ही दुनिया भर के पैसे यहीं पर जमा होते हैं। अगर इस बैंक में कई हजारों करोड़ रुपये जमा करने के लिए चले जाते हैं तो आपसे बैंक बिनो कोई सवाल-जवाब किए आपको अपना ग्राहक बना लेते हैं। बैंको को कोई मतलब नहीं होता है कि पैसा कहां से आया है। 

सीक्रेसी के मामले में तीसरे नंबर पर 
दुनिया के कई देशों में जब टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार और आतंकी घटनाओं ने वहां के सरकार को परेशान किया तो सबकी नजर स्विस बैंक की ओर पड़ी। इस बैंक पर कई एक्टिविस्ट ग्रुप और देशों ने अकाउंट साझा करने के लिए हमेशा दबाव बनाया। साल 2008 में अमेरिका में जब मंदी छाई तो अमेरिका ने स्विस बैंक पर दवाब बनाया कि रईस खाताधारकों के नामों का खुलासा करें। अब आप सोच रहें होंगे हमने आपको बताया कि बैंक किसी ग्राहक के बारे में जानकारी देता नहीं है तो कैसे जानकारी साझा कर सकता है। आपको बता दें कि स्विट्जरलैंड फॉरेट अकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट यानी FATCA का सिग्रेचरी है, जिसके मुताबिक बैंक अमेरिकी खाताधारकों के बारे में जानकारी देने के लिए बाध्य है। नहीं तो उन बैंको पर कार्रवाई हो जाएगी। वही ऐसी ही करार यूरोपीय देशों के साथ भी है। इन सबके बावजूद स्विस बैंक फाइनेंशियल सीक्रेसी इंडेक्स 2020 में तीसरे स्थान पर है। 

ग्राहकों से पैसा लेते हैं बैंक 
इस बैंक में सीक्रेट अकाउंट भी खोला जाता है। जिसे नबरंड अकाउंट कहा जाता है। इसमें खाताधारकों का नाम के बजाए डिजिट नंबर डाला जाता है। इसकी सीक्रेसी इतनी होती है कि बैंक के आम अधिकारियों को भी नहीं पता होता है। यानी खाताधारक का नाम नहीं होता है सिर्फ नंबर से पहचान होते हैं। आमतौर सभी बैंको में पैसा रखने पर आपको ब्याज मिलता है लेकिन इस बैंक में पैसा जमा करके रखने पर आपको बैंको राशी भुगतान करनी पड़ती है।   

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