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Hindi News भारत राष्ट्रीय Indo-Tibetan Border Police: ITBP के जवान शून्य से नीचे के तापमान में कर रहे पेट्रोलिंग, देखें वीडियो

Indo-Tibetan Border Police: ITBP के जवान शून्य से नीचे के तापमान में कर रहे पेट्रोलिंग, देखें वीडियो

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान उत्तराखंड हिमालय के आसपास शून्य से नीचे के तापमान में पेट्रोलिंग कर रहे हैं। इसका एक वीडियो भी जारी हुआ है। 

ITBP Soildiers- India TV Hindi Image Source : ANI ITBP Soildiers

Highlights

  • भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन सन 1962 में हुआ था
  • जवान एक-दूसरे के पीछ रस्सी का सहारा लेकर आगे बढ़ते दिखे

Indo-Tibetan Border Police: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान उत्तराखंड हिमालय के आसपास शून्य से नीचे के तापमान में पेट्रोलिंग कर रहे हैं। इसका एक वीडियो भी जारी हुआ है। जानकारी के मुताबिक देश की रक्षा के लिए बर्फ से भरे इलाके के बीच शून्य से भी कई नीचे तापमान में 15,000 फीट ऊंचाई पर जवान गश्त लगाकर पहरा दे रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह कई जवान एक— दूसरे के पीछ रस्सी का सहारा लेकर आगे बढ़ते दिखे।
जवानों के कंधे पर हथियार लटके हुए हैं और हाथ में डंडा लेकर वे सधे कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बर्फ की गहराई जवानों के घुटनों तक है जिस कारण जवानों को आगे बढ़ने में दिक्कत आ रही है लेकिन वो बिना रुके आगे बढ़ते दिख रहे हैं। जवानों का 15 हजार फीट ऊंचाई पर बर्फीले इलाके में गश्त करने के वीडियो को देख देश के लोग उनके बुलंद हौसलों को सच्चे दिल से सलाम कर रहे हैं। 

1962 में हुआ था आईटीबीपी का गठन
बता दें, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन सन 1962 में हुआ था। आईटीबीपी के जवानों को सीमा के अलावा नक्सल विरोधी अभियानों समेत अन्य ऑपरेशन में तैनात किया जाता रहा है। आईटीबीपी देश का अग्रणी अर्धसैनिक बल है। इस बल के जवान अपनी कड़ी ट्रेनिंग और व्यावसायिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं। साथ ही किसी भी हालात व चुनौती का मुकाबला करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। साल भर हिमालय की गोद में बर्फ से ढंकी अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करना इनका मूल कर्तव्य है, इसलिए इनको ‘हिमवीर’ के नाम भी जाना जाता है।    

मसूरी में स्थित है अकादमी
बता दें कि देहरादून जनपद के मसूरी में आइटीबीपी अकादमी स्थित है। आइटीबीपी अकादमी की स्थापना वर्ष 1978 में हुई थी। इस अकादमी में सहायक कमांडेंट के रैंक के अधिकारी सीधे भर्ती होते हैं। इन अधिकारियों को प्रारंभिक प्रशिक्षण देने के अलावा, अकादमी ने उग्रवाद विरोधी अभियानों, राक क्लाइम्बिंग, वीआईपी सुरक्षा आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।

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