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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'गुस्सा नहीं करता, 45 साल से हूं शादीशुदा', जब मल्ल्किार्जुन खरगे को जगदीप धनखड़ ने दिया जवाब

'गुस्सा नहीं करता, 45 साल से हूं शादीशुदा', जब मल्ल्किार्जुन खरगे को जगदीप धनखड़ ने दिया जवाब

राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि आप गुस्सा हो गए। जिसके जवाब में जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं 45 साल से शादीशुदा आदमी हूं। मैं कभी गुस्सा नहीं करता हूं।

Jagdeep Dhankhar replied to Mallikarjun Kharge in rajya sabha said I don't get angry I am married fo- India TV Hindi Image Source : PTI मल्लिकार्जुन खरगे

मणिपुर मामले पर लोकसभा और राज्यसभा में सरकार और विपक्षी दलों के नेताओं को बीच तीखी बहस देखने को मिली। इस दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं द्वारा सदन में नियम 267 के तहत चर्चा की मांग की गई। बहस के दौरान सदन में थोड़ी हंसी-मजाक भी देखने को मिली। सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हुए बहस में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि आप गुस्सा हो गए। जिसके जवाब में जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं 45 साल से शादीशुदा आदमी हूं। मैं कभी गुस्सा नहीं करता हूं। 

सदन में हंसी-मजाक

दरअसल मणिपुर मामले पर बहस के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे बोल रहे थे। इस मामले पर उन्होंने कहा कि जब भी मैं अपनी बात कहना चाहता हूं तो मेरा माइक दो मिनट बाद बंद कर दिया जाता है। मैंने आपको बताया लेकिन आप शायद गुस्से में थे। कांग्रेस नेता के इस बयान पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं पिछले 45 साल से शादीशुदा हूं और कभी गुस्सा नहीं करता हूं। इसके बाद सभापति ने कहा कि पी. चिदंबरम भी इस बात को मानेंगे कि वरिष्ठ वकील होने के नाते हम गुस्सा नहीं कर सकते हैं। इसपर खरगे ने आगे कहा कि सभापति जी आप गुस्सा तो बराबर करते हैं। लेकिन दिखाते नहीं हैं। 

क्या है नियम 267 और 167

मणिपुर मामले पर जहां एक तरफ जोरदार बहस देखने को मिली। वहीं दूसरी तरफ हंसी-मजाक के कारण माहौल थोड़ा स्थिर और खुशनुमा बना रहा। बता दें कि विपक्ष दोनों सदनों में मणिपुर मामले पर चर्चा करने की मांग कर रहा है। इस चर्चा को लेकर दिक्कत यह है कि सरकार चाहती है कि सदन में इसपर चर्चा 167 नियम के तहत हो लेकिन विपक्ष 267 नियम के तहत चर्चा करना चाहता है। बता दें कि नियम 167 के तहत बोलने के लिए थोड़ा कम वक्त मिलता है। लेकिन नियम 267 के तहत लंबे वक्त तक बोलने का वक्त मिलता है। साथ ही बाकी के अन्य कामों को रोककर चर्चा को  लंबा बढ़ाया जा सकता है। 

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