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Hindi News भारत राष्ट्रीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया: वो मां जिसने अपनी वसीयत में लिखा, 'बेटा नहीं करेगा मेरा अंतिम संस्कार', BJP की स्थापना में निभाई थी अहम भूमिका

राजमाता विजयाराजे सिंधिया: वो मां जिसने अपनी वसीयत में लिखा, 'बेटा नहीं करेगा मेरा अंतिम संस्कार', BJP की स्थापना में निभाई थी अहम भूमिका

राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी। उन्होंने साल 1957 में कांग्रेस के टिकट पर शिवपुरी (गुना) सीट से लोकसभा चुनाव जीता था। इसी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया भी चुनाव जीतते रहे हैं।

Rajmata Vijayaraje Scindia - India TV Hindi Image Source : FILE राजमाता विजयाराजे सिंधिया

Rajmata Vijayaraje Scindia: कहा जाता है कि एक मां को अपने बच्चों से बेहद प्यार होता है। मां अपने बच्चों के लिए दुनिया से लड़ जाती है। अक्सर गलती होने पर भी उसे अपना बच्चा निर्दोष ही लगता है। आपको भी अपनी मां से बेहद मोहब्बत होगी। लेकिन एक मां ऐसी भी थी, जिसने अपनी वसीयत में लिख दिया था कि उसकी मौत के बाद उसका इकलौता बेटा उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होगा और ना ही वह उसकी चिता को आग लगाएगा। हालांकि उनकी मौत के बाद उनके बेटे ने ही सभी संस्कार संपन्न किए। हम बात कर रहे हैं मां विजयाराजे सिंधिया की और बेटा माधवराव सिंधिया की। आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती है और राजमाता हर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के लिए बेहद ही सम्मानित स्थान रखती हैं। आखिर हो भी क्यों नहीं, क्योंकि उन्होंने बीजेपी की स्थापना में बेहद अहम भूमिका निभाई थी और सबसे ज्यादा आर्थिक मदद की थी। 

पहले कांग्रेस में ही थीं राजमाता विजयाराजे 

माना जाता है कि ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया और एक उनके एक मात्र पुत्र और कांग्रेस नेता रहे माधव राव सिंधिया के बीच संबंध बेहद खराब थे। उनके संबंध इतने ख़राब थे कि 1985 में अपने हाथ से लिखी वसीयत में उन्होंने माधवराव सिंधिया को अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था। दोनों के बीच में जबरदस्त राजनीतिक प्रतिद्वंदिता थी। मां विजयाराजे जहां पहले जनसंघ में तो बाद में उसके बदले हुए स्वरुप बीजेपी में थीं तो बेटा माधवराव सिंधिया कांग्रेस के कार्यकर्ता था। हालांकि विजयाराजे पहले खुद भी कांग्रेस में थीं, लेकिन इंदिरा गांधी द्वारा राजघरानों के प्रीवी पर्स खत्म करने के बाद दोनों के बीच ठन गई और विजयाराजे जनसंघ में शामिल हो गई थीं। 

Image Source : fileमाधवराव सिंधिया

साल 2001 में हो गया था निधन  

विजयाराजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया के बीच कैसे रिश्ते थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मां राजमाता ने ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए माधवराव सिंधिया से किराया भी मांग लिया। विजयाराजे से माधवराव सिंधिया से एक रुपए साल का किराया मांगा था। इसके अलावा जब इमरजेंसी के दौरान विजयाराजे को पुलिस ने गिरफ्तार किया था तब उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें उनके बेटे माधवराव ने ही गिरफ्तार करवाया है। राजमाता का साल 2001 में निधन हो गया था। इसके बाद उनकी दो वसीयत सामने आई थीं। जिनमें से के साल 1985 की थी तो दूसरी 1999 की लिखी हुई थी। यह वसीयत विवाद अब कोर्ट में चल रहा है। 

Image Source : fileराजमाता विजयाराजे सिंधिया

बीजेपी की स्थापना में निभाई थी अहम भूमिका 

6 अप्रैल 1980 को देश की राजनीति में बड़ी हलचल थी। इसी दिन देश को एक नई पार्टी मिलने जा रही थी। यह पार्टी वही है जो मौजूदा समय में देश की सरकार चला रही है। जी हां, यह पार्टी है भारतीय जनता पार्टी। इसकी स्थापना जनसंघ से अलग हुए कुछ लोगों ने की थी। लेकिन इनके आगे एक सबसे बड़ी आर्थिक दिक्कत थी। किसी भी राजनीतिक दल को चलाने के लिए बड़े मात्रा में पैसा चाहिए होता था। तब उस समय आर्थिक रूप से राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने बीजेपी की स्थापना में मदद की थी और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अटक बिहारी वाजपेयी को चुना गया और लालकृष्ण आडवाणी, सिकंदर बख्त और सूरज भान को महासचिव बनाया गया। 

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